‘अजमल की सेना हमारी महिलाओं को छूती है, तो उनके लिए एकमात्र सजा मौत की सजा होगी’- लवजिहाद पर असम मंत्री
दिसपुर (असम): असम वाली भाजपा सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ लड़ाई शुरू करने का निर्णय किया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि यदि 2021 में फिर से भाजपा सरकार आती है तो राज्य सरकार ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कड़ी लड़ाई शुरू करेगी। ज्ञात हो कि 126 सदस्यीय असम विधानसभा का चुनाव अगले साल मार्च-अप्रैल में होने वाला है।
उन्होंने डिब्रूगढ़ में भाजपा महिला मोर्चा की बैठक के दौरान कहा कि “हमें असम की धरती पर लव जिहाद के खिलाफ एक नई और सख्त लड़ाई शुरू करनी होगी। यदि भाजपा फिर से सत्ता में आती है, तो हम एक निर्णय लेंगे कि यदि कोई लड़का अपनी धार्मिक पहचान छिपाता है और असमिया बेटियों और महिलाओं पर कुछ भी नकारात्मक टिप्पणी करता है, तो वह निर्मम और कठोर सजा का सामना करेंगे।”
सरमा ने दावा किया कि लड़कियां फेसबुक पर “अजमल की संस्कृति-सभ्यता” का शिकार हो रही हैं क्योंकि लड़के सोशल मीडिया पर अपने धर्म को छुपाते हैं और उनसे शादी करते हैं। उन्होंने कहा “हमने शपथ ली है कि अगर अजमल की सेना हमारी महिलाओं को छूती है, तो उनके लिए एकमात्र सजा मौत की सजा होगी, कुछ भी कम नहीं। हम इस तरह के संकल्प के साथ काम कर रहे हैं।”
भाजपा नेता नियमित रूप से अल्पसंख्यक राजनीति और अवैध प्रवासियों के प्रति सहानुभूति के लिए लोकसभा सांसद व AIUDF चीफ़ बदरुद्दीन अजमल पर निशाना साधते हैं।
मंत्री ने आगे कहा कि “लव जिहाद ने असमिया बेटियों के लिए पहाड़ जैसी समस्या पैदा कर दी है। लड़कों के फर्जी नामों से ठगी करने के बाद कई लड़कियों को तल्ख स्थितियों का सामना करना पड़ा है। भाजपा ने संकल्प लिया है कि जब भी कोई भी संस्कृति-सभ्यता असमिया लड़कियों पर हमला करती है, तो निर्मम जवाब दिया जाएगा।”
सरमा ने कहा कि “भाजपा कुछ लोगों की साजिश के कारण पांच निर्वाचन क्षेत्रों में राजनीतिक शक्ति खो चुकी है। अगर लोग एकजुट नहीं होंगे तो समाज नहीं बचेगा। यही कारण है कि 2021 का विधानसभा चुनाव हमारी संस्कृति-सभ्यता को बचाने के लिए है।”
उन्होंने कहा “अगर अजमल की संस्कृति-सभ्यता के खिलाफ 65 प्रतिशत लोग एक साथ नहीं लड़ते हैं, तो हमारा भविष्य असम नहीं बचेगा। अगर हम संस्कृति-सभ्यता की इस लड़ाई को खो देते हैं, तो हम 15 साल के बाद इस असम में नहीं रह पाएंगे। साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, असम में 34.22 प्रतिशत लोग मुस्लिम हैं जबकि 61.47 प्रतिशत हिंदू हैं।”
सरमा ने कहा, “हमने 2016 में सरायघाट लड़ाई के बारे में बात की थी। यह लड़ाई पांच साल में खत्म नहीं होती है। हमें तब तक लड़ना होगा जब तक हम राजनीतिक रूप से अजमल की सेना को खत्म नहीं कर देते।”
भाजपा ने 2016 के चुनाव को कांग्रेस सरकार को बाहर करने के लिए “साराघाट की आखिरी लड़ाई” के रूप में करार दिया था, 1671 की लड़ाई के संदर्भ में जिसमें लछित बोरफुकन के नेतृत्व में अहोम सेना ने मुगलों को हराया था।
उन्होंने कहा “यह योजनाओं का एक सर्वेक्षण नहीं है। यह किसी के लिए मुख्यमंत्री या विधायक बनने का चुनाव नहीं है। यह हमारे समाज को बचाने वाला चुनाव है। अगर हम एक असमिया के रूप में जीना चाहते हैं, तो हमें अपनी सनातन संस्कृति-सभ्यता को बचाने और जीवित रखने के लिए 2021 में भाजपा को विजयी बनाना होगा।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान राम की जन्मभूमि को बचाने में नाकाम रहने की शर्म को मिटा दिया है और करोड़ों भारतीयों को विश्वास दिलाने वाले राम मंदिर की आधारशिला रखकर एक उद्धारकर्ता साबित हुए हैं।”
अंत में उन्होंने कहा “हमारी संस्कृति पर बाबर-औरंगजेब द्वारा किए गए निर्मम हमले लोकतंत्र और न्यायपालिका के माध्यम से नरेंद्र मोदी के शासन के तहत खत्म हो गए थे। उन्होंने याद दिलाया कि बाबर-औरंगजेब दिल्ली के साथ-साथ असम, कश्मीर, धुबरी या सदिया में भी राज नहीं कर पाएगा।
सरमा ने कहा कि “अजमल की संस्कृति-सभ्यता धीरे-धीरे सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर रही है और सतारा संस्कृति-सभ्यता निचले और मध्य असम के बड़े हिस्से में नष्ट हो गई है। यहां तक कि श्रीमंता शंकरदेव के बाताद्रव सातरा से संबंधित भूमि को अजमल की संस्कृति-सभ्यता द्वारा अतिक्रमण किया गया था।”