UP में सपा ने सवर्णों के आर्थिक आरक्षण का खुलकर किया विरोध, पहले की थी परशुराम मूर्ति बनवाने की घोषणा !
लखनऊ (UP): योगी सरकार के सवर्ण आरक्षण वाले विधेयक का अखिलेश यादव ने विरोध कर दिया है।
हाल में उत्तरप्रदेश में विकास दुबे कांड के बाद उपजे सियासी घटनाक्रम को लेकर विपक्षी दलों ने सवर्ण खासकर ब्राह्मणों की सहानुभूति बटोरने की पुरजोर कोशिश की। जिसमें सपा ने तो भगवान परशुराम जी की मूर्ति लगाने की घोषणा कर डाली।
हालांकि अखिलेश यादव वाली सपा ज़्यादा देर अपने पुराने सियासी समीकरण को लेकर छोड़ नहीं पाई और जब उत्तर प्रदेश विधान परिषद में सवर्ण आरक्षण बिल पेश हुआ तो उसका खुलकर विरोध कर दिया।
गौरतलब है कि विधान परिषद के प्रमुख सचिव ने विधानसभा द्वारा गत 27 फरवरी को पारित उत्तर प्रदेश लोक सेवा (आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण) विधेयक, 2020 को सदन के पटल पर रखा। अधिष्ठाता जयपाल सिंह व्यस्त ने इसे पारित करने या न करने के लिए सदस्यों से हां या ना बोलने को कहा। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने ‘हां’ कहा जबकि सपा सदस्यों ने बिल के खिलाफ में ‘ना’ में आवाज उठाई।
गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों में 10% आर्थिक आरक्षण देने वाले बिल के पारित होने की घोषणा जैसे हुई तो सपा सदस्य इस पर आपत्ति जताते हुए सदन के बीचोंबीच आ गए।
इस पर अधिष्ठाता दोबारा खड़े हुए और सदस्यों से फिर से हां या ना में आवाज उठाने को कहा और विधेयक को पारित घोषित कर दिया। सपा सदस्यों के विरोध के बीच सदन की कार्यवाही शनिवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी का आरोप है कि विपक्ष के बहुमत के विरोध बाद भी विधेयक को अल्पमत के पक्ष में पारित कर दिया गया है। उन्होंने बिल के विरोध में कहा कि “आज उप्र विधान परिषद में जिस प्रकार बहुमत का अपमान कर बिल पारित कराए गए, वो सत्ता पक्ष के नैतिक पतन और भाजपा सरकार के निरंतर कमजोर होते जाने का प्रतीक है।”
आगे कहा कि “भाजपा सरकार के इस दौर में लोकधर्म की अवमानना चरम पर है, नहीं चाहिए भाजपा।”
आज उप्र विधान परिषद में जिस प्रकार बहुमत का अपमान कर बिल पारित कराए गए, वो सत्ता पक्ष के नैतिक पतन और भाजपा सरकार के निरंतर कमजोर होते जाने का प्रतीक है.
भाजपा सरकार के इस दौर में लोकधर्म की अवमानना चरम पर है. #नहीं_चाहिए_भाजपा
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 21, 2020
हालांकि पार्टी ने बिल को प्रवर समिति को सौंपने की माँग की थी। अब इस पूरे मामले को लेकर समाजवादी पार्टी सभापति से मुलाक़ात करेगी व पार्टी इस सवर्ण आरक्षण बिल पर पुनर्विचार करने की मांग करेगी।
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