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KV स्कूलों में “हिंदू प्रार्थना” के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका
केंद्र सरकार द्वारा संचालित 1,125-स्ट्रांग KV स्कूलों के संशोधित शिक्षा नियमों पर सवाल, संविधान के अनुच्छेद 19 व 28(1) का उल्लंघन
नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका संविधान पीठ को भेजा है, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा संचालित 1,125-स्ट्रांग केंद्रीय विद्यालयों के संशोधित शिक्षा नियमों पर सवाल उठाया गया था, जो छात्रों को सुबह की सभाओं के दौरान हांथ जोड़कर व बंद आंखों के साथ संस्कृत और हिंदी प्रार्थना करने के लिए मजबूर करता है। या पूरे स्कूल के सामने सार्वजनिक अपमान का सामना करना पड़ता है।
प्रार्थना पर नोटिस क्या कहती है…?
न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की अगुवाई वाली एक पीठ ने पाया कि याचिका एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाती है, जहां एक धर्मनिरपेक्ष राज्य, जिसका कोई धर्म नहीं है, वह विभिन्न धर्मों, आस्थाओं, अल्पसंख्यक समुदायों से आने वाले लोगों के लिए सजा के डर से “हिंदू धर्म पर आधारित” प्रार्थना करने को मजबूर कर रहा है |
सुप्रीम कोर्ट ने विनायक शाह द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सत्य मित्रा और पल्लवी शर्मा ने किया है।
संविधान के अनुच्छेद 19 व 28(1) का उल्लंघन :
याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालयों का संशोधित शैक्षिक नियम अनुच्छेद 19 (वाक् व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी) व अनुच्छेद 28 (1) का उल्लंघन करता है, जो राज्य को सरकारी खर्चे पर चलने वाले शैक्षणिक संस्थान में कोई भी धार्मिक निर्देश देने से रोकता है। याचिका में कहा गया है कि सबके लिए सामान्य प्रार्थना एक “धार्मिक निर्देश” है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय विद्यालय चलता है व केंद्रीय मंत्री इसके अध्यक्ष हैं। स्कूल, जो 50 सालों से चलन में हैं, और यह विभिन्न भाषाओं, संस्कृति व परंपराओं वाले क्षेत्रों में फैले शैक्षणिक संस्थानों का बहुत बड़ा समूह है |
याचिका में संशोधित नियम के अनुच्छेद 92 की ओर इशारा किया गया है, जो “सभी छात्र अपनी आस्था व विश्वास के बावजूद, अनिवार्य रूप से सुबह की प्रार्थना सभा में शामिल होने और प्रार्थना करने को अनिवार्य करता है।