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देवभूमि उत्तराखंड में देवभाषा संस्कृत को BJP सरकार नें स्कूलों में किया आवश्यक !

देहरादून (UK) : देवभाषा संस्कृत को आधिकारिक भाषा करने के बाद BJP सरकार नें इसकी पढ़ाई आवश्यक कर दी है।

उत्तराखंड सरकार ने कक्षा 3 से 8 तक के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करने का फैसला किया है।

Uttarakhand CM & PM Modi

राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा, “संस्कृत हमारी प्राचीन और देवभाषा है। हमें स्वीकार करना चाहिए कि इस भाषा ने हमारी संस्कृति को माप से परे समृद्ध किया है। हमारी पीढ़ी को भाषा का ज्ञान होना चाहिए।”

राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा मंत्री को निर्देश दिया गया है कि वे राज्य में संचालित सभी स्कूलों में इस फैसले को सख्ती से लागू करें। राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि संस्कृत के पाठ्यक्रम को लागू करने के लिए जल्द ही दिशा-निर्देश होंगे।

उत्तराखंड के सचिव शिक्षा आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा, “दिशानिर्देश में आईसीएसई जैसे कई बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों और अन्य में दंडात्मक उपायों को भी शामिल किया जाएगा।

उत्तराखंड में वर्तमान में चार प्रमुख भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें हिंदी, कुमाउनी, गढ़वाली और जौनसारी शामिल हैं।

अनुमान के मुताबिक, राज्य के 89% से अधिक आबादी हिंदी (45%) सहित इन चार भाषाओं को गढ़वाली (23.03%), कुमाउनी (19.94%) और जौनसारी (1.35%) बोलते हैं। पहाड़ी राज्य में कई अन्य भाषाएं भी बोली जाती हैं, जिनमें उर्दू, पंजाबी, बंगाली, नेपाली, मैथिली, थारू, जान, रंगपो, दरमिया, बेंगसी, राजी, चौडांगसी और रावत शामिल हैं।
दिलचस्प बात यह है कि मुख्य क्षेत्रीय भाषाओं कुमाऊं और गढ़वाली को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा लुप्तप्राय भाषाओं का दर्जा दिया गया है।
unesco, paris
आपको बता दें कि इसी साल जनवरी 2019 में उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत वाली BJP सरकार नें संस्कृत को भी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड के बाद दूसरा राज्य है जहां संस्कृत आधिकारिक भाषा है।

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