मराठा आरक्षण पर दांव, सुप्रीम कोर्ट में विरोधपत्र से सरकार को पहले सुना जाएगा
महाराष्ट्र विधानसभा में 29 नवंबर को पास हुआ था 16% मराठा आरक्षण बिल, आरक्षण के खिलाफ याचिका की आशंकाओं से सरकार आई फ्रंटफुट में
मुंबई : देश में अक्सर आरक्षण को लेकर राजनीति अपने चरम सीमा पर दिखती है कभी कोई इसके पक्ष में तो कोई विपक्ष में | हालांकि अभी हाल ही में महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण मिला है जिसके लिए कई सालों से आंदोलन किए जा रहे थे, धरना, प्रदर्शन व आगजनी तक भी किए गए |
सुप्रीम कोर्ट में सरकार पहले बांकी सब बाद में :
मराठा आरक्षण बिल पास होने के बाद अब महाराष्ट्र सरकार नें एक और दांव खेल दिया है जिससे आरक्षण को चुनौती देने वालों के पैर कोर्ट में जाने से पहले हिल सकते हैं |
सरकार नें मराठा आरक्षण अधिनियम पर अब सुप्रीम कोर्ट में कैवीट (विरोधपत्र ) दर्ज कराया है जिसका मतलब होता है कि ” जो भी पार्टी इस लीगल विरोध पत्र को संबंधित कोर्ट में सबसे पहले दर्ज करेगी, उसे कोर्ट में सुनवाई का मौका मिलेगा और बिना सुनवाई के कोर्ट कोई भी आदेश नहीं पास कर सकता ” |
आरक्षण के खिलाफ याचिका की आशंका से सरकार का ये कदम :
महाराष्ट्र में 16% मराठा आरक्षण के पहले ही 52% आरक्षण दिया जा रहा था हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मानें तो कोई भी राज्य 50% की सीमा नहीं लांघ सकता जब तक कि राज्य इसकी सीमा बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक आंकड़े नहीं देता है |
लेकिन इस आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में कई लोग चुनौती दे सकते हैं क्यों कि इसके खिलाफ कोर्ट में याचिकाओं के कारण पहले भी बाम्बे हाईकोर्ट रोंक लगा चुका था |
इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य की भाजपा सरकार ने यह कदम उठाया है | जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देना भी चुनौतीपूर्ण हो गया है लेकिन अब देखना यह होगा कि सरकार 68% आरक्षण को राज्य में किस तारीख से प्रभावी करने वाली है या उसके पहले उसे कोई पार्टी कोर्ट तक ले जाएगी ?