17 साल पहले मर चुके युवक पर लगा दिया एससी एसटी एक्ट, कोर्ट ने पुलिस और मुकदमा दर्ज कराने वालों के खिलाफ दिए FIR दर्ज करने के आदेश
जालौन- उत्तरप्रदेश के जालौन से अजीबोगरीब और हैरान कर देने वाला एक मामला सामने आया है, जहां 17 साल पहले मर चुके एक युवक के खिलाफ 2020 में एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया था और पुलिस ने भी इस पूरे मामले में बिना जांच पड़ताल किए ही मृतक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी। जिसके बाद अब कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए जांच करने वाले तत्कालीन डिप्टी एसपी और मुकदमा दर्ज कराकर कोर्ट में झूठी गवाही देने वाले पांच अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला?
आपको बता दे कि पूरा मामला कदौरा थाना क्षेत्र के चतेला गाँव का है, जहां गाँव के ही एक दलित व्यक्ति राम सिंह ने पूर्व प्रधान इदरीस और उसके बेटे कासिम के खिलाफ 13 जुलाई 2020 को घर में घुसकर गाली गलौज व मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में कदौरा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद पुलिस ने पूर्व प्रधान व उसके बेटे के खिलाफ एससी एसटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया और दोनों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी, लेकिन कोर्ट ने उसे नामंजूर कर दिया था।
इसी दौरान इस पूरे मामले की जांच उरई नगर के तत्कालीन डिप्टी एसपी संतोष कुमार को स्थानांतरित कर दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने भी पूर्व प्रधान इदरीस और उसके बेटे कासिम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद मुकदमा दर्ज कराने वाले राम सिंह, उसके पुत्र ज्ञान सिंह, मुन्ना और पत्नी हीराकली व अन्य ने पिता व पुत्र के खिलाफ कोर्ट में बयान भी दिए थे।
इतना ही नहीं कोर्ट में बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने पूर्व प्रधान इदरीस को जेल भेज दिया था, तो वहीं कासिम को फरार बता दिया था। जिसके बाद पूर्व प्रधान इदरीस ने अपने अधिवक्ता की सहायता से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र लिखते हुए बताया कि उसके साथ-साथ उसके जिस बेटे के ऊपर मुकदमा दर्ज कराया गया है, उसकी मौत 15 दिसंबर 2003 को हो गई थी। यह मुकदमा पुरानी आपसी रंजिश के तहत दर्ज कराया गया है, जो कि पूर्ण रूप से फर्जी और झूठा हैं।