इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा एससी एसटी एक्ट के तहत समझौता करने पर पीड़ित को लौटाना होगी मुआवजा राशि
एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले आपराधिक मामलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक बड़ा फैसला सुनाया है, कोर्ट का कहना है कि अगर एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज मुकदमों में पीड़ित द्वारा बिना किसी दबाव के आपसी समझौता कर केस को समाप्त किया जाता है तो सरकार द्वारा पीड़ित पक्ष को मिलने वाली मुआवजा राशि को भी पीड़ित को वापिस करना होगा।
जानिए क्या है पूरा मामला?
आपको बता दे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में विभिन्न अदालतों से एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज चार आपराधिक मामलों में झब्बू दूबे उर्फ प्रदीप कुमार दूबे, विश्वनाथ यादव व अन्य, धर्मेंद्र उर्फ बउवा बाजपेई व अन्य, राकेश व अन्य के द्वारा केस समाप्त करने की अपील दायर की गई थी कि पीड़ित और उनके बीच आपसी समझौता हो गया।
जिसके बाद न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने विभिन्न अदालतों से आईं चारों आपराधिक अपीलों की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी को भी शिकायत दर्ज कराकर सरकार द्वारा मिलने वाली मुआवजा राशि को कमाई का जरिया बनाने का कोई अधिकार नहीं है। यह टैक्स भरने वाले करदाताओं की गाढ़ी कमाई है, जिसे ऐसे ही लुटाया नहीं जा सकता। इतना ही नहीं कोर्ट ने पीड़ितों को 20 दिन में सरकार से मिली राशि समाज कल्याण विभाग के माध्यम से ट्रेजऱी में जमा करने तथा सत्यापन कर अदालत को उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
वहीं अगर हम एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में आपसी समझौते की बात करें तो ऐसे कितने ही केस हम सबके सामने होगें, जिसमें एससी एसटी एक्ट के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज तो किया जाता हैं। लेकिन सरकार द्वारा मिलने वाली मुआवजा राशि को लेकर पीड़ित पक्ष के द्वारा ही आपस में समझौता कर लिया जाता हैं, जिसके चलते कोर्ट का बहुमूल्य समय भी बर्बाद होता है।