‘दलित होने की पहचान का दुरुपयोग’, कोर्ट ने 6 साल बाद SC/ST एक्ट में बुजुर्ग को किया बरी
बारां: राजस्थान में SC/ST एक्ट का एक और मामला फर्जी पाया गया है। कोर्ट ने 6 साल बाद बुजुर्ग को एक्ट में निर्दोष करार दिया है।
बारां जिले में एक विशेष अदालत ने इस सप्ताह एक 60 वर्षीय व्यक्ति को एससी-एसटी अधिनियम के आरोप से बरी कर दिया। घटना 7 सितंबर 2015 को छाबड़ा पुलिस थाना क्षेत्र अंतर्गत हुई थी, जब कथित आरोपी अमरलाल गुर्जर ने अपनी जमीन पर अतिक्रमण का विरोध किया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार सात सितंबर 2015 को वह अपने पति दौलतराम के साथ खेत में गई थी। आरोपितों ने उन्हें रोका और जातिसूचक गालियां देकर उनकी पिटाई शुरू कर दी।
दौलतराम के आवेदन पर छाबड़ा पुलिस ने आईपीसी 341, 323, 504 और 3(1)X एससी-एसटी एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की थीम
हालांकि, मुकदमे के दौरान, अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष ने दलित होने की अपनी पहचान का दुरुपयोग किया है और दलित अत्याचार का झूठा मामला दर्ज किया है।
विशेष न्यायाधीश पूनम शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि ”कहानी को नया रंग देने के लिए ही मामले में अनुसूचित जाति की पहचान जोड़ी गई है।”
अदालत ने एससी-एसटी अधिनियम के आरोप से बरी करते हुए कहा, “अभियोजन पक्ष ने अदालत में सही तथ्य भी पेश नहीं किए हैं, लेकिन मामला दर्ज करने के लिए उनके द्वारा बढ़ा चढ़ाकर कहानियां बनाई गई हैं।”