हरे कृष्णा

रामायण, गीता को संसद में कानून लाकर राष्ट्रीय सम्मान देने की जरूरत, स्कूलों में इन्हें अनिवार्य विषय भी बनाएं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के खिलाफ अश्लील पोस्ट करने पर गुस्सा जाहिर करते हुए शुक्रवार को फेसबुक पर पोस्ट करने वाले एक व्यक्ति को जमानत दे दी।

जस्टिस शेखर यादव की बेंच आकाश जाटव उर्फ ​​सूर्य प्रकाश की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने भगवान राम और कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी की थी।  कोर्ट ने आरोपी को सशर्त जमानत देते हुए दोबारा इस तरह का अपराध न करने की चेतावनी दी। आरोपी पिछले 10 महीने से जेल में था।

याचिकाकर्ता ने कहा कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने फर्जी आईडी बनाकर अश्लील पोस्ट कर दी। वह निर्दोष हैं और उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संविधान में निहित है। जिसे अपराध नहीं माना जा सकता।  लोक अभियोजक ने कहा कि याचिकाकर्ता अहमदाबाद में अपने चाचा के घर गया था।  जहां उसने चचेरे भाई के मोबाइल फोन में अपना सिम कार्ड डालकर अश्लील पोस्ट कर दी और प्राथमिकी दर्ज होते ही मोबाइल फोन और सिम कार्ड फेंक कर फरार हो गया।

हालांकि, अदालत ने दलीलों पर गुस्सा जाहिर किया और कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है। राज्य की सुरक्षा, अफवाहें फैलाना, अश्लीलता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं बल्कि अपराध है।

श्री राम के बिना अधूरा है भारत

सोशल मीडिया पर भगवान राम और कृष्ण के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के मामले में कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है। जो धर्म को नहीं मानता वह नास्तिक हो सकता है। यह किसी को दूसरों की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं देता है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि हाथ में मानव खोपड़ी लेकर नाचने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

कोर्ट ने आरोपी को समझाया श्रीराम और श्रीकृष्ण

न्यायालय ने श्री राम और श्रीकृष्ण का महिमामंडन किया और आरोपी को समझाया। जस्टिस यादव ने कहा कि भगवद गीता में करम फल के सिद्धांत की व्याख्या की गई है। आत्मा अमर है। वह कपड़े की तरह अपना शरीर बदलती है। जैसे बछड़ा अपने झुंड में अपनी माँ को ढूँढ़ रहा हो।

मन शरीर का अंग है। केवल शरीर ही सुख-दुख का अनुभव करता है। भगवान कृष्ण ने कहा, कर्मों पर ध्यान दो, फल मुझ पर छोड़ दो।  वासुदेव कुटुम्बकम की आत्मा किसी अन्य देश में नहीं पाई जाती है। अदालत ने कहा कि ईश्वर धर्म की रक्षा के लिए आते हैं। धर्म खत्म होने पर भगवान अवतार लेते हैं। भगवान राम सीता की छवि भी भारतीय संविधान में निहित है। ऐसे में राम कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी अक्षम्य है।

अदालत ने कहा बनाएं कानून

अदालत ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि श्रीराम, श्रीकृष्ण, रामायण, गीता और इसके रचयिता महार्षि बाल्मीकि और महार्षि वेदव्यास जो भारत देश की संस्कृति है, धरोहर हैं, को भारतीय संसद में कानून लाकर राष्ट्रीय सम्मान देने की आवश्यकता है। साथ ही देश के सभी स्कूलों में इसे अनिवार्य विषय बनाकर बच्चों को शिक्षा देने की आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा से ही व्यक्ति संस्कारित होता है और अपने जीवन मूल्यों और अपनी संस्कृति से भिज्ञ होता है। अच्छी शिक्षा ही अच्छे मनुष्य का निर्माण करती है बाकी आज की बहुतायत शिक्षा पश्चात इतिहासकारों पर ही आधारित है जिन्होनें चाटुकारिता और स्वार्थ में आकर इस भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है।

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