‘गाय भारतीय संस्कृति का हिस्सा, गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार को संसद में विधेयक लाना चाहिए’: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद: हिंदू धर्म में पूज्य गाय को लेकर बड़ी टिप्पणी करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि गाय भारत की संस्कृति का हिस्सा है और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए।
उच्च न्यायालय ने बुधवार को जावेद नामक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की, जिस पर उत्तर प्रदेश में गौहत्या रोकथाम अधिनियम (जावेद बनाम राज्य) के तहत अपराधों का आरोप लगाया गया था।
एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने कहा कि गाय को मौलिक अधिकार देने और गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार को संसद में एक विधेयक लाना चाहिए और गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों को दंडित करने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, “भारतीय संविधान भी इसकी संरक्षण की बात करता है । समय समय देश की विभिन्न न्यायालयों एवं सर्वोच्च न्यायालय ने भी गाय की महत्वा समझते हुए इसके संरक्षण संवर्धन एवं देश के लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए तमाम निर्णय दिए हैं और संसद एवं विधान सभा ने भी समय के साथ नये नियम गायों की रक्षा हित में बनाये हैं जिसमें उत्तर प्रदेश उसमें अग्रणी है । किन्तु कभी कभी यह देखकर बहुत कष्ट होता है कि गाय संरक्षण और संर्वधन की बात करने वाले ही गाय के भक्षक बन जाते है।”
“सरकार भी गोशाला का निर्माण तो कराती है किन्तु उसमें गाय की देखभाल करने वाले लोग ही गाय का ध्यान नहीं रखते है । इसी प्रकार प्राईवेट गौशाला भी आज केवल एक दिखावा बनकर रह गयी है जिसमें लोग गाय संवर्धन के नाम से जनता से चंदा और सरकार से सहायता तो लेते है किन्तु उसको गाय के संर्वधन और उसकी देखभाल में न लगाकर स्वार्थहित में खर्च करते हैं।”
कोर्ट ने आगे कहा, “ऐसे तमाम उदाहरण देखने को मिलते हैं, जहां गाय, गौशाला में भूख और बीमारी के कारण मर जाती है या तो मरणासन में है । गंदगी के बीच उनको रखा जाता है । खाने के अभाव में गाय पालीथीन खाती है और नतीजतन बीमार होकर मर जाती है । सड़क, गलियों में गाय जिन्होंने दूध देना बंदकर दिया उनकी बुरी हालत देखने को मिलती है । बीमार और अंगभंग गाय अक्सर लावारिस देखने में नजर आती है । ऐसी स्थिति में यह बात सामने आती है कि गाय के संरक्षण संर्वधन करने वाले लोग क्या कर रहे हैं । कभी कभार एक दो गाय के साथ फोटों खिंचाकर वे समझते है कि उनका काम पूरा हो गया है किन्तु ऐसा नहीं है। सच्चे मन से गाय की सुरक्षा और उसकी देखभाल करनी होगी तथा सरकार को भी इस पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना होगा।
कोर्ट ने कहा, “देश तभी सुरक्षित रहेगा । जब गाय का कल्याण होगा देश तभी इस देश का कल्याण होगा । विशेषकर उन लोगों से गाय का संरक्षण संर्वधन की आशा छोडनी होगी जो दिखावा मात्र से गाय की सुरक्षा की बात करते हैं । साथ ही सरकार को भी संसद में बिल लाकर गाय को मौलिक अधिकार में शामिल करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना होगा और उन लोगों के विरूद्ध कड़े कानून बनाने होगें जो गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करते है साथ उनको भी शामिल करके दण्डित करने का कानून आना चाहिए जो छद्म वेशी होकर गाय सुरक्षा की बात गौशाला आदि बनाकर करते तो है किन्तु उनका गाय सुरक्षा से कोई सारोकार नही होता है, उनका तो एक मात्र उद्वेश्य है कि सी प्रकार गाय सुरक्षा के नाम पर पैसा कमाया जाए।”
कोर्ट ने कहा, “गाय संरक्षण एवं संर्वधन का कार्य केवल एक मत धर्म सम्प्रदाय का नही है बल्कि गाय भारत देश की संस्कृति है एवं संस्कृति को बचाने का काम देश में रहने वाले हर नागरिक का चाहे वह किसी भी धर्म या उपासना करने वाला हो, ऐसा न होने पर, सैकड़ों उदाहरण हमारे देश में है कि हम जब जब अपनी संस्कृति भूले तब तब विदेशियों ने हम पर आक्रमण कर गुलाम बनाया और आज भी हम न चेते तो आफगानिस्तान पर निरंकुश तालिबान का आक्रमण और कब्जे को भी हमे भूलना नहीं चाहिए।”