अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए मोदी सरकार ने बीते 7 सालों में करीब ₹24 हजार करोड़ खर्च किए: आंकड़ा
नई दिल्ली: सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए पिछले 7 सालों में करीब 24 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
राज्यसभा में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने के लिए आवंटित / संस्वीकृत निधि संबंधित पूछे गए सवाल के जवाब में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले सात वर्षों अर्थात 2014-15 से 2020-21 के दौरान विभिन्न वर्गों के तहत 23,973.34 करोड़ रुपये जारी किए गए या धनराशि उपयोग की गई है।
इस धनराशि में शैक्षिक सशक्तीकरण योजना के तहत 13986.52 करोड़ रुपये, वहीं 1871.15 करोड़ रुपये रोजगारोन्मुख योजना के तहत और बुनियादी विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत 8115.67 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने कहा कि वह केन्द्रीय रूप से अधिसूचित छह अल्पसंख्यक समुदायों नामतः मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन के सामाजिक – आर्थिक एवं शैक्षिक सशक्तीकरण के लिए कार्यक्रमों / योजनाओं को भी लागू करता है। मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे ऐसे 14 योजना / कार्यक्रम है।
पिछले 7 वर्षों के दौरान मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं के तहत राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से 4.52 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को विभिन्न छात्रवृत्तियां प्रदान की गई हैं, जिनमें से 535 से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं। नया सवेरा योजना के तहत 69,544 उम्मीदवारों को लाभान्वित किया गया है और सीखो और कमाओ योजना के तहत 3.92 लाख लाभार्थियों को प्रशिक्षित / आवंटित किया गया है।
उस्ताद योजना के तहत, मंत्रालय ने 28 ‘हुनर हाट’ का आयोजन किया है जिसमें 5.5 लाख से अधिक कारीगरों और उनसे जुड़े लोगों को रोजगार और रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं, जिनमें से 50% से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं।