ऑनलाइन रामकथा सुनाकर संकट काल में भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति दे रहे हैं साधु संत
अयोध्या: कोरोना महामारी के फैलते संक्रमण के बीच देश भर में फ़ैले निराशा के माहौल से छुटकारा पाने के लिए भक्त आध्यात्म का सहारा ले रहे हैं।
फेसबुक और यूट्यूब के माध्यम से भक्तगण नियमित रामकथा और साधु संतों के वचनों को सुन रहें है। कोरोना महामारी से जंग में घोषित लॉकडाउन के कारण रामनगरी अयोध्या के मठ – मंदिरों में सन्नाटा फैला हुआ है। साधु – संत भी पूरी प्रतिबद्धता से कोरोना गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं।
इन विषम परिस्थियों में भक्तों की मांग पर रामकथा का प्रवचन करने वाले संत अपने-अपने मठ, मंदिर व आश्रमों से ऑनलाइन रामकथा सुना रहे हैं। साथ ही भक्तों को कोरोना से लड़ाई के लिए आत्मिक शक्ति मजबूत करने के उपाय भी बता रहे हैं। संवाद न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, रामकथा के मर्मज्ञ जगद्गुरू रामदिनेशाचार्य ने भी कोरोना के चलते अप्रैल व मई में होने वाले अपनी सारी कथाएं स्थगित कर दी हैं।
वे बताते हैं कि खाली समय में प्रतिदिन यू – ट्यूब व फेसबुक के जरिए प्रतिदिन कथा का प्रवचन कर रहे हैं। जब से लॉकडाउन शुरू हुआ तब से वे प्रतिदिन सुबह 10 से 11:30 बजे तक भक्तों की मांग पर कथा का प्रवचन कर रहे हैं। कहते हैं कि कोरोना को हराने के लिए हमें अपनी आसक्ति अध्यात्म से जोड़नी होगी । क्योंकि जब विज्ञान काम नहीं कर रहा तब आध्यात्मिक उपचार के माध्यम से ही कोरोना महामारी को समाप्त किया जा सकता है। भक्तों को कोरोना काल में भजन – पूजन के लिए भी कथा के माध्यम से प्रेरित किया जा रहा है।
कथा व्यास महंत उद्धव शरण भी प्रतिदिन सुबह – शाम एक – एक घंटे भक्तों को कथारस का ऑनलाइन पान करा रहे हैं। वे कहते हैं कि कठिन घड़ी में हमारे धैर्य की परीक्षा होती। आत्म अनुशासन ही वर्तमान में राष्ट्रधर्म है। कहा कि कथा के जरिए भक्तों के आत्मविश्वास के सुदृढ़ किया जा सके, यही प्रयास है। जगत गुरु रत्नेश प्रपन्नाचार्य भक्तों की मांग पर प्रतिदिन शाम को 4 से 6 बजे तक भक्तों को ऑनलाइन रामकथा व भागवत कथा का मर्म समझा रहे हैं। लॉकडाउन के कारण उन्होंने अपनी दो कथाएं स्थगित कर दी हैं वे कहते हैं कि आज जब पूरा देश कोरोना से जूझ रहा है, लोग असहाय होकर दम तोड़ रहे हैं ऐसे में भजन – पूजन का ही सहारा बचा है।
कथाव्यास पंडित कौशल्यानंदन प्रतिदिन सांयकाल दो घंटे भक्तों को ऑनलाइन भागवत व रामकथा सुना रहे हैं। कौशल्यानंदन कहते हैं कि हमें सुख-दुख परस्पर बांटना चाहिए। समाज के प्रति हमारा समर्पण ठोस रूप में प्रकट होना जरूरी है। कोरोना महामारी से लड़ाई में भक्तों को आध्यात्मिक क्रियाकलापों के लिए प्रेरित किया जा रहा है ।