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हाथरस: SC-ST एक्ट के 92 फीसदी मामलो में आरोपी हुए दोषमुक्त, आपसी रंजिश में लगे अधिक फर्जी केस

हाथरस: एससी एसटी एक्ट पर चल रही हमारी सीरीज की यह चौथी रिपोर्ट आज हम प्रेषित कर रहे है। जौनपुर, सहारनपुर व ललितपुर के बाद यह चौथी रिपोर्ट भी एससी एसटी कोर्ट के दिए गए निर्णयों पर आधारित है जिसके लिए 1 जनवरी 2021 से लेकर 30 अप्रैल 2021 तक के आंकड़ों को शामिल किया गया है। इस दौरान न्यायलय द्वारा २४ ऐसे मामलो को निपटाया गया था जोकि एससी एसटी एक्ट से सम्बंधित थे। इन 24 मामलो में दिए गए निर्णयों में मात्र 2 मामलो में कोर्ट ने लगाए गए आरोपों को सही पाया। वहीं बाकि अन्य मामलो में आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया।

इस दौरान हमें एक मामला ऐसा भी मिला जहां पुलिस द्वारा फर्जी मुक़दमे में दो बार फाइनल रिपोर्ट लगाई गई लेकिन प्रार्थी द्वारा जाति की वजह से गलत आख्या लगाने का हवाला देकर कोर्ट से दोनों रिपोर्ट को निरस्त करा दिया गया। आखिर में कोर्ट द्वारा खुद से परिवाद दाखिल कर सुनवाई में आरोपों को मिथ्या पाया गया।

7 वर्ष पुराने मुक़दमे में आरोपियों को किया गया दोषमुक्त
ग्राम गाढ़ी पत्ती बनारसी निवासी गोविन्द द्वारा दो युवको पर IPC 323 , 504 व एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। प्रार्थी द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने उसके साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर मारपीट की घटना को अंजाम दिया। सुनवाई के दौरान आरोपों को ख़ारिज करते हुए कोर्ट ने दोनों आरोपियों को सभी आरोपों से दोषमुक्त करने का निर्णय सुनाया।

पैसे के लेनदेन को लेकर बनाया उत्पीड़न का मामला, न्यायलय को कहना पड़ा असत्य
पैसे के लेन देन को लेकर चरण देवी द्वारा अपने ठेकेदार समेत 4 लोगो पर मारपीट व जातिसूचक शब्द कहने का आरोप लगाया गया था ,सुनवाई के दौरान एससी एसटी कोर्ट द्वारा घटना को असत्य बताते हुए रमेशचंद्र यादव, विपिन कुमार, शिवम् कुमार व सुमंदरा देवी को रिहा करने का आदेश सुनाया।

जातिसूचक शब्द व मारपीट के परिवाद को न्यायलय ने किया ख़ारिज
गोपाल व चंद्रशेखर द्वारा मोहन पर दर्ज कराये गए मुक़दमे की सुनवाई पर न्यायलय ने परिवाद को ख़ारिज करते हुए घटना को असत्य करार दिया। कोर्ट ने पाया कि दोनों एक ही मकान में रहते है व आपसी रंजिश के चलते व पहले से चल रहे एक मुक़दमे में दबाव बनाने के कारण प्रकरण को दर्ज कराया गया था।

5 वर्ष बाद किया जेल से रिहा, केस दर्ज कराने वाले पर किया मुकदमा दर्ज
केस सांख्य 559 / 2016 की सुनवाई करते हुए न्यायधीश बी डी भारती ने अपने सुनाये आदेश में 4 आरोपियों को गंभीर आरोपों से दोषमुक्त किया। थाना सासनी के अंतर्गत दर्ज कराये गए हत्या व एससी एसटी एक्ट के मामले को झूठा पाते हुए कोर्ट ने प्रार्थी पर भी मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। जीतू सिंह, दीपक, सचिन व सुरेश पर IPC 302 , 506 व एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया था।

प्रार्थी ने फर्जी मुक़दमे की दो बार कोर्ट जाकर कराई FR निरस्त, कोर्ट की सुनवाई में भी पाया गया तथ्यहीन
वर्ष 2011 में देव शर्मा, नेत्रपाल शर्मा, प्रेम प्रकाश शर्मा, विमल शर्मा पर लगाए गए एससी एसटी एक्ट के गंभीर आरोपों को स्थानीय पुलिस द्वारा विवेचना के दौरान झूठा पाते हुए FR लगा दी गई थी। जिसे प्रार्थी द्वारा वर्ष 2012 में कोर्ट के द्वारा निरस्त कर दिया गया था। कोर्ट के आदेशों पर दूसरे पुलिस अफसर द्वारा मामले की विवेचना की गई जिसने फिर से प्रकरण के फर्जी पाए जाने पर वर्ष 2012 में FR लगा दी थी। प्रार्थी द्वारा एक बार फिर कोर्ट से रिपोर्ट को निरस्त करा दिया गया था। जिसके बाद मामले की सुनवाई कोर्ट ने खुद पूर्ण कर सभी आरोपियों को करीब 10 वर्ष बाद दोषमुक्त कर दिया। कोर्ट ने भी 9 अप्रैल को दिए अपने निर्णय में मामले को तथ्यहीन पाया।

ऐसे ही करीब 24 मामलो पर निर्णय देते हुए न्यायलय द्वारा 22 मामलो में आरोपियों को दोषमुक्त किया गया। वहीं मात्र दो मामलो को सही पाते हुए कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गई। कोर्ट के निर्णयों के आधार पर करीब 92 प्रतिशत मामले एससी एसटी एक्ट से जुड़े तथ्यहीन पाए गए। मात्र 8 प्रतिशत मामले ही सही पाए गए।


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