किसान आंदोलन में लगे बुक स्टॉल में बेची जा रही ‘मनुस्मृति जलाई क्यों गई’ जैसी किताबें
नई दिल्ली: कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीने से भी ज्यादा समय से किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है.
अपने आंदोलन को और धार देने के लिए किसान संगठनों ने आज शनिवार को देशव्यापी चक्का जाम का आह्वान किया था. तीन घंटे तक चले इस चक्का जाम का दिल्ली से लेकर कश्मीर तक मिलाजुला असर देखने को मिला. जहां प्रदर्शनकारी सड़कों पर बैठ गए इससे आमजनों को काफी परेशानी का सामना करना पढ़ा.
मनुस्मृति के विरोध वाली किताब:
दिल्ली बार्डर पर चल रहे किसान आदोंलन में, एक रिपोर्ट द्वारा हमें प्राप्त जानकारी के अनुसार पुस्तकें बेंचने की आड़ में नफ़रत और आपसी मतभेद फैलाने वाली डॉ॰ भदन्त आनन्द कौसल्यायन द्वारा रचित पुस्तक ” मनुस्मृति क्यों जलायी गई? ” पुस्तक को बेंचा जा रहा हैं. जिसमें एक जाति विशेष और मनुस्मृति को लेकर तरह तरह की बातें लिखी गई हैं.
इसके अलावा बुक स्टॉल में भीमराव अंबेडकर, लेलिन, माओ की पुस्तकें भी हैं. बुक स्टॉल के कर्मचारी के मुताबिक यहां हर तरह के लोग आते हैं और अपने अपने पसंद के अनुसार किताबें पढ़ते हैं.
हालांकि ये पहली बार नहीं है जब किसान आदोंलन की आड़ में ऐसे कई वर्ग विशेष विरोधी प्रतीक देखने को मिले हों. हमें लगी जानकारी के अनुसार यहाँ पर लगे काउंटरों पर विभिन्न प्रकार की पुस्तकें आदोंलन में बेचीं जा रही हैं. जिसमें बताया कि यहां कई लोग आते हैं जो ये पुस्तकें आदोंलन में पहुँचा रहें हैं.
गणतंत्र दिवस षड्यंत्र:
कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले दो महीने से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान मचे उत्पात से गहरा झटका लगा है. इतना ही नहीं लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बराबर में विशेष धार्मिक झंडे फहराने की देश भर में आलोचना हो रही है. यही वजह है कि किसान संगठन एक सुर में खुद को इस उपद्रव से अलग करने की कोशिश करते दिखे. लेकिन असलियत से सभी रूबरू हैं.
पहले राकेश टिकैट का वर्ग विशेष विरोधी बयान:
कृषि कानूनों को वापिस लेने की मांग पर अड़े भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कुछ दिनों पहले ब्राह्मण समाज को लेकर टिपण्णी देने पर समाज के लोगों पर अभद्र भाषा का प्रयोग किया था जिससे वर्ग विशेष समाज आक्रोश में था. समाज का कहना था कि आदोंलन की आड़ में लोगों में नफ़रत फैलायी जा रही हैं. देश विरोधी नारे तथा देश विरोधी गतिविधियां चलाई जा रही हैं.
दरअसल बीते दिनों पलवल में भी आयोजित किसानों की सभा में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा था कि “मंदिर वालों को रोज पूजा जा रहा है, लेकिन वो लोग एक भी दिन भंडारा लगाते नहीं नजर आए. ये लोग कहाँ हैं? इनसे भी हिसाब-किताब ले लो. इनका अता-पता ले लो. हमारी माँ-बहनें इन्हें जा-जा कर दूध दे रही हैं. ये लोग बदले में एक कप चाय भी नहीं पिला रहे हैं. इन सब लोगों का हिसाब लिया जाएगा.
राकेश टिकैत के पंडितों पर दिए बयान में टिकैत द्वारा भड़कीले स्वर में कहा गया था कि “देखो सुधर जाओ. पंडित भी सुधर जाओ, जो मंदिर में बैठे हैं. इन पर बहुत चढ़ावा है, इनसे हिसाब-किताब तो ले लो भाई. यहाँ एकाध भंडारा लगवा दो. हम कोई कृष्ण जी के ख़िलाफ़ थोड़ी हैं, लेकिन तुम भंडारा तो लगवाओ। सब हरिद्वार जा रहे हैं, मथुरा जा रहे हैं, एक भी पंडित यहाँ नहीं आ रहा इनका सबका इलाज होगा, इनकी सबकी लिस्ट बनेगी.”