तमिलनाडु का दलित समुदाय ‘देवेंद्रकुला वेल्लार’ SC सूची से हटने के लिए करेगा रैली, कहा विशेषाधिकार छोड़ने को तैयार
मदुरै: देवेंद्र कुला वेल्लारर्स, पूरे देश में एकमात्र समुदाय जो अनुसूचित जाति की सूची से हटाए जाने के लिए आंदोलन करता रहा है।
समुदाय 6 जनवरी को मदुरै में पुथिया तमिलगंज के संस्थापक नेता डॉ के कृष्णासामी के नेतृत्व में एक विशाल सार्वजनिक रैली आयोजित करेगा। एक बयान में, डॉ कृष्णासामी ने राज्य और केंद्र सरकारों को देवेंद्र कुला वेल्लार को अनुसूचित जाति की सूची से हटाने की मांग पर विचार करने के लिए एक स्पष्ट आव्हान किया ना कि केवल सात समुदायों के नाम बदलने के साथ माँग बंद करें।
डॉ कृष्णासामी ने अपने बयान में कहा, “यह 6 जनवरी न केवल तमिलनाडु के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन के रूप में याद किया जाएगा। देवेंद्र कुला वेल्लार एक कृषि समुदाय थे, जिन्हें तमिल संगम साहित्य में शामिल किया गया था और कहा गया था कि उन्हें ब्रिटिश शासन के दौरान गलती से वंचित वर्ग के रूप में शामिल किया गया था। एक समाज जो बड़प्पन की स्थिति में रहता था, उसे अनुसूचित जाति के तहत सूचीबद्ध करके रसातल में धकेल दिया गया।”
आगे कहा कि “वंचित वर्ग से जुड़ी वर्जनाओं ने हमारी सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता को रोका है। हम इससे छुटकारा पाने और अपनी पहचान वापस पाने के लिए लड़ रहे हैं। हम किसी भी प्रकार के बलिदान के लिए तैयार हैं और हमारे ऊपर लगाए गए कलंक को दूर करने के लिए किसी भी प्रकार के विशेषाधिकारों का त्याग करते हैं।”
पुथिया तमिलगाम के युवा विंग नेता और डॉ कृष्णासामी के पुत्र डॉ श्याम कृष्णासामी ने कहा कि एससी सूची से हटाना तमिलों, हिंदुओं और भारतीयों को एकजुट करने में पहला कदम है।
तमिलनाडु सरकार ने 4 दिसंबर को घोषणा की कि राज्य सरकार केंद्र सरकार से सात अनुसूचित जाति उप-संप्रदायों- पल्लर, कुदुम्बर, कदैयार, पननाडी, कालड़ी, वढियार और देवेंद्रकुलथार को देवेंद्रकुल वल्लारार समुदाय में शामिल करने की सिफारिश करेगी। हालांकि, मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने कहा कि देवेंद्र कुला वेल्लार अपनी वर्तमान सामाजिक-आर्थिक स्थिति को देखते हुए अनुसूचित जाति की सूची में बने रहेंगे और वे अनुसूचित जाति के लिए लाभ प्राप्त करना जारी रखेंगे।
देवेंद्रकुला वेलेरर्स सात समुदायों को एक शीर्षक – ‘देवेंद्र कुला वेल्लार’ के तहत कराने व अनुसूचित जाति की सूची से हटाने की मांग तीन दशकों से अधिक समय से कर रहे हैं। डॉ कृष्णासामी ने कहा है कि समुदाय को अनुसूचित जाति से बाहर निकालना उनका अंतिम लक्ष्य है।