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किसान प्रदर्शन: CPIM का किसान संगठन कई महीनों से कर रहा था तैयारी, JNU छात्र भी शामिल

नई दिल्ली: दिल्ली में जारी किसान विरोध प्रदर्शनों को अब JNU से लेकर वामपंथी दलों के छात्र संगठनों ने समर्थन दे दिया है।

सिंधु सीमा पर किसानों के विरोध के साथ JNU का वामपंथी छात्र संगठन AISA एकजुटता में शामिल हो गया है। वहीं अन्य वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई हरियाणा के नेता सुमित सिंह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और CPIM के किसान संगठन ऑल इंडिया किसान सभा एआईकेएस के राज्य सचिव मार्च की शुरुआत से ही हरियाण में किसान जुटा रहे है और हमारे किसानों के साथ मार्च कर रहे है।

वामपंथी संगठन ने कहा है कि AISA भारतीय किसानों द्वारा जनविरोधी कृषि बिलों के खिलाफ क्रांतिकारी संघर्ष को सलाम करता है!

इसके अलावा AISA सहित AICCTU और CPI-ML जैसे वामपंथी संगठनों ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सिंघू बॉर्डर पर एक प्राथमिक चिकित्सा केंद्र स्थापित किया है। वहीं JNU छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष भी प्रदर्शन में शामिल हुई हैं।

गृहमंत्री के प्रस्ताव को भी खारिज किया:

वहीं किसान प्रदर्शन में ताजा विकास है कि सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक खत्म हो गई है। किसानों ने गृहमंत्री अमित शाह के प्रस्ताव को खारिज़ कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार शर्तें लगा रही है लेकिन हम शर्त नहीं मानेंगे। किसानों ने फैसला किया कि वे लोग फिलहाल बॉर्डर्स पर बैठे रहेंगे। सात सदस्यीय किसानों की कमेटी में योगेंद्र यादव भी शामिल हैं।

1 दिसम्बर से राज्यों में भी शुरू:

तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध-प्रदर्शन का आज चौथा दिन है। आंदोलनरत किसान हरियाणा-दिल्ली की सीमा सिंघु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर ही डटे हुए हैं। सिंधु बॉर्डर पर किसानों ने प्रदर्शन तेज करने का आह्वान करते हुए कहा कि 1 दिसंबर से राज्यों में भी प्रदर्शन शुरू होगा।

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