भारत में लॉक डाउन की स्थिति में चाहिए होगा करीब 38 मिलियन टन खाना: रिपोर्ट
दो महीने लॉक डाउन में माना गया है की सरकार के बफर स्टॉक से लोगो को खाद्य सामग्री प्रदान की जाएगी जिसमे चावल व दाल आते है ।
नई दिल्ली: भारत में जिस प्रकार से हर चार दिन में वायरस के मरीजों में दोगुना उछाल आ रहा है उससे एक्सपर्ट्स ने आंशका जताई है कि भारत जल्द ही स्टेज 2 से स्टेज 3 में दाखिल हो सकता है। जैसे जैसे सरकार अधिक लोगो की जाँच बढ़ाएगी वैसे वैसे मरीजों की संख्या में तेजी आनी तय है।
अगर हमारी तय रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक नतीजे रहते है (जोकि पिछले एक हफ्ते से सही साबित हो रहे है) तो महीने के अंत तक आपको लॉक डाउन देखने को मिल सकता है। भारत में खस्ता व बीमारू अस्पताल, अपर्याप्त कोरोना टेस्ट किट व लोगो द्वारा अभी भी गंभीर न होना हालात को और बिगाड़ सकते है।
इसी कड़ी को देखते हुए हमारी डाटा रिसर्च टीम ने इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है जो यह पता लगाने के मकसद से आंकड़े जोड़ने में जुटी थी अगर असमय लॉक डाउन की स्थिति आती है तो देश कितना तैयार है। इस रिपोर्ट में हमने खाद्य सामग्री की मांग व सरकार की तैयारी को जानने का प्रयास किया है।
साथ ही हाल ही में देश को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने देश को आश्वाशन दिया था कि देश में खाद्य सामग्री की बिलकुल कमी नहीं होगी।
क्या है रिपोर्ट का पैमाना
इस रिपोर्ट में हम यह मान कर चल रहे है की देश में लॉक डाउन दो महीने के लिए लगाया जायेगा व देश में सभी तरह के प्रोडक्शन, ट्रांसपोर्ट व घर से निकलने पर पाबंदी लग जाएगी।
रिपोर्ट में भारत की कुल आबादी 20 मार्च तक की रियल टाइम आबादी को आधार के तौर पर लिया गया है। जोकि इस समय कुल 1,376,159,354 है।
दो महीने लॉक डाउन में माना गया है की सरकार के बफर स्टॉक से लोगो को खाद्य सामग्री प्रदान की जाएगी जिसमे चावल व दाल आते है ।
रिपोर्ट को कैसे तैयार किया गया है
रिपोर्ट तैयार करने के लिए हमारी टीम ने ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगो के प्रति दिन लिए जाने वाली खाद्य सामग्री का औसत निकाला है। वही शहरी आबादी के लिए भी हमारी टीम ने अलग से औसत कोन्सुम्प्शन को आधार बनाया।
आंकड़ों के मुताबिक ग्रामिणी क्षेत्रों में एक व्यक्ति प्रति महीना तक़रीबन 14.5 किलो खाद्य सामग्री का सेवन करता है वही शहरी क्षेत्रो में 11.7 किलो सामग्री का सेवन प्रति महीना प्रति व्यक्ति है।
Rural | Urban |
Consumption per month/ per person | Consumption Per month/ per person |
14.5 | 11.7 |
14.5 | 11.7 |
Total for two months = 29 | Total for two months = 23.4 |
इस हिसाब से ग्रामीण लोगो की कुल आबादी के मुताबिक सरकार को दो महीने में कुल 25898760706 किलो खाद्य सामग्री का जुगाड़ करना पड़ेगा। वही शहरी लोगो की मांग पूरी करने के लिए सरकार को कुल 11304508176 किलो खाद्य सामग्री को पहुंचना पड़ सकता है।
वही सरकार पर आंकड़ों के मुताबिक कुल 59 मिलियन टन खाद्य सामग्री का भंडार उपलब्ध है।
Rural | Urban |
Formula = TP x NF2M | Formula = TP x NF2M |
Total population = 893060714 | Total Population = 483098640 |
Need for 2 months = 29 Kg | Need for 2 months = 23.4 Kg. |
Total Food Consumption = 25.898MT |
Total Food Consumption = 11.304MT.
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अगर ग्रामीण व शहरी क्षेत्रो की आबादी की कुल खपत को मिला दिया जाये तो सरकार को पुरे देश का दो महीने पेट भरने के लिए कुल 37.20 मिलियन टन खाद्य सामग्री की जरुरत पड़ेगी। सरकारी बफर स्टॉक से अगर इतनी खाद्य सामग्री निकाल भी दी जाये तो भी सरकार के पास करीब 22 मिलियन टन अधिक खाद्य सामग्री शेष बचेगी।
इसमें बाटने समय हुए व्यर्थ होने वाली सामग्री को नहीं जोड़ा गया है। कई रिपोर्ट्स का अध्यन करने पर हमने पाया की डिस्ट्रीब्यूशन के समय कुल 3 से 5 प्रतिशत से अधिक सामग्री व्यर्थ हो जाती है। इस हिसाब से 5 प्रतिशत के मुताबिक करीब 38 मिलियन टन चावल दाल बाटने में कुल 1.9 मिलियन टन सामग्री ख़राब या व्यर्थ होने का अनुमान है।
मजे की बात: यह पूरा मीडिया हाउस दिल्ली विश्विधालय के छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है