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हिजाब के बगैर कई विद्यार्थी नहीं दे पाएंगे परीक्षा, हिजाब समर्थक छात्राओं के वकील की दलील

कर्नाटक हिजाब विवाद: शीर्ष कोर्ट ने जल्द सुनवाई का आग्रह करने वाले वरिष्ठ वकील देवदत्त कामथ से यह कहते हुए कि वे केस को बेवजह संवेदनशील न बनाएं, कर्नाटक के हिजाब विवाद को लेकर दायर याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।

हिजाब पहने बगैर छात्र नहीं देंगे परीक्षा
हिजाब समर्थक छात्रओं ने अपने वकील देवदत्त कामथ के माध्यम से उच्च न्यायालय में कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी। जिसपर मेंशनिंग के दौरान वकील कामथ ने सीजेआई एनवी रमण से कहा कि यह मामला अति संवेदनशील है अतः इसकी सुनवाई जल्द की जानी चाहिए। कामथ ने इसपर अपना तर्क देते हुए कहा की यदि हिजाब को मंजूरी नहीं दी गई तो कई विद्यार्थी परीक्षा नहीं दे पाएंगे और उनका साल खराब हो जाएगा। इस पर जस्टिस एनवी रमण ने मामले को परीक्षाओं से जोड़ना गलत ठहराया और हिजाब समर्थक छात्राओं के वकील कामथ को हिदायत दी की मामले को संवेदनशील न बनाया जाये।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब को इस्लाम का अहम हिस्सा मानने से इंकार करते हुए कर्नाटक के शिक्षा संस्थानों में हिजाब पर पाबंदी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। वहीँ दूसरी और उच्च न्यायालय ने हिजाब से सम्बंधित याचिकाओं के लिए विशेष तारीक की मांग को ठुकरा दिया है। इससे पूर्व भी उच्च न्यायालय ने हिजाब मामले में तत्काल सुनवाई से मना करते हुए सुनवाई को होली की छुट्टी के बाद तक ताल दिया था। हिजाब मामले को लेकर उच्च न्यायालय में पहले से ही कई याचिकाएं लंबित हैं।

जजों को मिली मौत की धमकी
इसी दौरान, हिजाब विवाद को लेकर फैसला सुनाने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित और न्यायमूर्ति खाजी एम जयबुन्निसा को मौत की धमकी दी गई है। जिसके बाद से ही प्रशासन ने इन सभी जजों को वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है।

शिक्षा मंत्री ने पुनः परीक्षा लेने से किया इंकार
हिजाब प्रतिबन्ध के बाद से ही कई छात्रों ने विरोध के कारण परीक्षा देने से इंकार कर दिया था। इसपर कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीएस नागेश ने पुनः परीक्षा आयोजित करने से इंकार करते हुए कहा की ” कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान किया जायेगा और पुनः परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी क्यूंकि ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है। अतः यदि कोई छात्र परीक्षा में हिजाब के कारण अनुपस्थित होता है तो उसकी अनुपस्थिति ही दर्ज की जाएगी।”

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