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यूनेस्को के फाल को किसकी नजर, चिल्लाने लगा बचाओ-बचाओ ?

जलवायु परिवर्तन पर पोलैंड में सम्मेलन, 2015 के पेरिस समझौते के साथ विश्व की विरासतों को बचाने के उपायों के लिए सामने आईं विश्व की हस्तियां

नईदिल्ली : वो पल भी कितना मजेदार होता है जब व्यक्ति अपनी छुट्टियों को बिताने कुदरती व हरे-भरे वातावरण में जाता है | भारत में शिमला, मनाली, कश्मीर, उत्तराखंड, जैसे स्थान हैं लेकिन अगर सोचिए किसी कारणवश शिमला को न देख पाएं तो क्या होगा ?

यूनेस्को की साइट कर रही है अस्तित्व की फाइट :

अर्जेन्टीना, ब्राजील व पारागुए की सरहद में मौजूद “इग्वाजू” फाल अपनी ख़ूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है | इसकी ऊंचाई 80 मीटर है यह फाल 2800 मीटर के कुल दायरे में फैला हुआ है |  यह फाल दक्षिण अमेरिका का बहुत बड़ा पर्यटक स्थल माना जाता है जिसमें सालाना 20 लाख सैलानी इसकी हसीन ख़ूबसूरती को देखने आते हैं |

यहाँ आसपास सबट्रापिकल वर्षा वाले वन हैं जिनमें लंबी नाक वाले कैमन व जगुआर जैसी दुर्लभ व गायब होने की कगार वाली प्रजातियां पाई जाती हैं |

लेकिन बदलते मौसम,आंधी-तूफ़ान, सूखा और मानवीय गतिविधियों जैसे लागिंग, शिकार, मछली को मारने से अब इसके अस्तित्व पर खतरा मडराने लगा है | जिसको लेकर अर्जेंटीना, ब्राजील व पारागुए देश अब इसके बचाव के लिए जुट गए हैं |

मौजूदा जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में ऐसे स्थानों पर चर्चा :

3 दिसंबर से विश्व के सभी देश जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन कर रहे है, यह पोलैंड के काटोविस नामक शहर में COP24 के नाम से जारी है | इसका मुख्य उद्देश्य दिनबदिन बदलते मौसम के कारणों पर चर्चा करने का है, इसके लिए यूएन पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन पर जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहा है |

इसमें 2015 के पेरिस समझौते को भी साधा गया, जिसका उद्देश्य था कि इस शताब्दी 2 डिग्री सेल्सियस तक वैश्विक तापमान को काम करना था |

हालांकि अचानक मौसम बदलने के पीछे मानवीय गतिविधियों को भी जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए लेकिन क्या हम अपनी पीढ़ी को सूखे नदी तालाब, नदी झरने बचाएंगे ? अगर नहीं तो हमें प्रकति से छेड़छाड़ को बिल्कुल बंद करना होगा |

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