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3 शताब्दी पुराना परशुराम मंदिर जहाँ जीवरक्षा के लिए समुद्र से लड़े थे परशुराम

करीब 300 साल पुराना भगवान परशुराम का मंदिर है। जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण ब्रह्मेन्द्र स्वामी ने किया था।

मुंबई : भगवान विष्णु के 6वें अवतार श्री परशुराम का गाँव जिसके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने जीवों की रक्षा के लिए समुद्र का पानी पीछे कर अपना स्थान बनाया था जिसे आज परशुराम भूमि के नाम से जाना जाता है |

मुंबई-गोवा नेशनल हाईवे 17 के बीच एक छोटा सा गांव आता है पिथे परशुराम। चिपलून से 10 किमी की दूरी पर स्थित इस गांव को भगवान परशुराम का गांव कहते हैं। बताया जाता है कि यह वही जगह है जहां समंदर को पीछे करने के लिए भगवान परशुराम ने अपना फरसा फेंका था।

PARASHURAM VILLAGE

इस गांव के पास 10 किमी की दूरी पर मौजूद चिपलुन को परशुराम की भूमि कहा जाता है।

भगवान परशुराम ने अपने गुरु को अपनी पूरी भूमि दान कर दी।
उस वक्त पश्चिमी घाट पर समंदर का पानी चढ़ रहा था। परशुराम ने भगवान वरुण से कोंकण और मालाबार से पानी हटाने कहा, लेकिन वो नहीं माने।
– इस बात से गुस्साए परशुराम जी ने समुन्दर पर अपना फरसा फेंका। परशुराम जी के गुस्से से भयभीत समुद्र ने अपने को पीछे खींच लिया।
जहां फरसा गिरा वह स्थान परशुराम ने अपने निवास के लिए चुन लिया। आज यह जगह पिथे परशुराम के नाम से जानी जाती है।

यहां करीब 300 साल पुराना भगवान परशुराम का मंदिर है। जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण ब्रह्मेन्द्र स्वामी ने किया था। इस मंदिर के ठीक पीछे माता रेणुका का भी मंदिर है। परशुराम मंदिर परिसर में एक हनुमान मंदिर भी है जिसे समर्थ रामदास स्वामी ने बनवाया था।

कैसे पहुंचे परशुराम गांव…

वायु मार्ग द्वारा :

परशुराम गांव पहुंचने के लिए आपको चिपलुन पहुंचना जरुरी है। चिपलुन से सबसे नजदीकी पुणे का लोहेगांव एयरपोर्ट है, जो यहां से 117 किमी की दूरी पर है,,इसके अलावा दूसरा नजदीकी मुंबई एयरपोर्ट है, जो 184 किमी दूर है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी, ट्रेन या बस के जरिए पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग द्वारा :

सड़क मार्ग से चिपलुन मुंबई से 320 किमी की दूरी पर है। यह जगह मुंबई- गोवा हाईवे (NH-17) के बीच पड़ती है। इस रूट पर आपको कई प्राइवेट और सरकारी बसें आसानी से मिल जाएगी।

【नोट : ये मीडिया हाउस दिल्ली विश्वविद्यालय के मीडिया छात्रों द्वारा चलाया जा रहा है】

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