झारखंड में ST समुदाय को अब आसानी से मिलेगा बैंक लोन
राँची: झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार आदिवासी समाज को एक सौगात के रूप में उन्हें सुगम ऋण उपलब्ध कराएगी।
शनिवार को अनुसूचित जनजातियों को शिक्षा ऋण, गृह ऋण, कृषि ऋण तथा अन्य ऋण लेने में आ रही कठिनाईयों को दूर करने के लिए झारखण्ड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् के उप समिति की बैठक हुई।
विधान सभा सदस्य सह झारखण्ड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् उप समिति के अध्यक्ष स्टीफन मरांडी की अध्यक्षता में झारखंड मंत्रालय के प्रथम तल सभागार में हुई बैठक में कई निर्णय लिए गए।
उप समिति की पहली बैठक होने के कारण “छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 एवं संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 के प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जनजातियों की जमीन की खरीद – बिक्री पर रोक होने के कारण झारखंड राज्य के अनुसूचित जनजातियों को शिक्षा ऋण, गृह ऋण, कृषि ऋण तथा अन्य ऋण लेने में आ रही कठिनाईयों के मद्देनजर उप समिति द्वारा सर्वसम्मति से झारखंड राज्य के निकटवर्ती अनुसूचित जनजाति बाहुल्य राज्यों का भ्रमण कर वहाँ के जनजातियों को बैंकों द्वारा सुलभतापूर्वक उपलब्ध कराये जा रहे ऋण के संबंध में गहन अध्ययन हेतु छत्तीसगढ़, उड़ीसा, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान राज्यों का भ्रमण करने का निर्णय लिया गया।
इस संबंध में समिति द्वारा विभागीय सचिव एवं आदिवासी कल्याण आयुक्त से अनुरोध किया गया कि उन राज्यों से समन्वय स्थापित कर इस संबंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने को कहा गया है।
उप समिति द्वारा सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि झारखंड राज्य के तीन जनजातीय बाहुल्य प्रमंडलों यथा – संथाल परगना, कोल्हान एवं छोटानागपुर प्रमंडल का भ्रमण कर वहाँ प्रमंडल स्तर पर बैठक आहूत की जाय, जिसमें संबंधित जिलों के उपायुक्त, सभी बैंकों के महाप्रबंधक स्तर के पदाधिकारी, जिलों के एलडीएम जानकार अधिवक्ताओं तथा अनुसूचित जनजाति के बुद्धिजीवी व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाय।
बैंकों के पदाधिकारियों को निर्देश दिया जाय कि उनके द्वारा अनुसूचित जनजातियों को उपलब्ध कराये गये ऋण एवं ऋण की वसूली से संबंधी प्रतिवेदन के साथ बैठक में भाग लें।
निर्णय में यह भी कहा गया कि हाल ही में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में अनुसूचित जनजाति समुदाय को ऋण उपलब्ध कराने से संबंधित आहुत बैठक में लिये गये निर्णय एवं उक्त के निमित बैंकों से प्राप्त अद्यतन प्रतिवेदन उपलब्ध कराने हेतु वित्त विभाग से अनुरोध किया जाय।
समिति द्वारा आदिवासी कल्याण आयुक्त, झारखंड, रांची को निदेश दिया गया कि झारखंड के अनुसूचित जनजाति समुदाय से सुझाव प्राप्त करने हेतु एक email ID एवं Whatsapp नम्बर समाचार पत्रों के माध्यम से प्रकाशित किया जाय जिसपर ऋण संबंध में आ रही कठिनाईयों एवं उसके समाधान संबंधी सुझाव प्राप्त हो सके।