‘विश्व के सभी छोटे-छोटे देश बड़े देशों के चंगुल से मुक्त होकर स्वयं का विकास करें और आत्मनिर्भर बनें’: RSS
काशी (UP): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के के बाद RSS ने आत्मनिर्भर भारत अभियान पर जोर लगाया है।
आज देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से आत्मनिर्भर भारत अभियान का दृढ़ संकल्प लिया। वहीं देश के सबसे बड़े संगठन RSS ने भी प्रधानमंत्री की इस मुहिम का पुरजोर समर्थन जताया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी जी ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उत्तरप्रदेेश के काशी के रोहनिया में ध्वजारोहण व वंदन किया।
RSS द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि कोरोना परिस्थिति में कोविड-19 के कारण यह कालखण्ड चर्चा का विषय बना हुआ है. कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप अपने देश में और सम्पूर्ण विश्व में चल रहा हैं. इस परिस्थिति में भारत की कुछ भिन्न विशेषता ध्यान में आई है. संख्यात्मक जानकारी के आधार पर दुनिया के अन्य समृद्ध देशों की अपेक्षा भारत में बीमारी का संक्रमण और मृत्यु दर कम है. इसका कारण यहाँ का रहन-सहन, जीवन शैली एवं लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है. यहाँ की जलवायु, परम्पराएं और सांस्कृतिक जीवन शैली लोगों को ऐसे संघर्ष के समय में जीवन शक्ति प्रदान करती है. तुलनात्मक दृष्टि से सर्वाधिक सम्पन्न और स्वच्छ अमेरिका इस बीमारी से सर्वाधिक प्रभावित हुआ है. भारत वर्ष के कुछ प्रान्तों में कोरोना वायरस का प्रभाव अधिक है, परन्तु कुछ प्रान्तों में न के बराबर है. यह हमारी अलग पहचान को सिद्ध करता है.
इस परिवेश में स्वतन्त्रता की 74वीं वर्षगाठ पर हमें व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन में स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लेना चाहिए. पिछले 74 वर्षों में हमने विभिन्न प्रकार के प्रयोग और प्रयास किये हैं. किन्तु हमें विदेशी सहायता पर निर्भर रहना पड़ा. आज भी हमारी कुछ अन्य देशों पर निर्भरता बनी हुई है. इस कोरोना कालखण्ड में हमें आत्मनिर्भरता की ओर सोचने का अवसर दिया है. देश की जलवायु, परम्परा और विभिन्न संसाधनों में आत्मनिर्भरता अपेक्षित हैं.
हम स्वयं आत्मनिर्भर बनें. और अपने प्रिय भारत राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाएं, जिससे दुनिया के तमाम छोटे-छोटे देश प्रेरित होकर आत्मनिर्भर बनें और बड़े देशों के चंगुल से मुक्त होकर अपना स्वयं का विकास करें और आत्मनिर्भर बनें. इसी भाव को ग्रहण कर हम अपने लक्ष्य पर पहुंच पाएंगे और दुनिया के अन्य देश भी भारत के ही आधार पर आगे बढ़ सकेंगे.
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