चुनावी पेंच

आरक्षित सांसदों के ख़िलाफ़ सबसे ज्यादा एंटी इनकम्बेंसी, BJP नें 40% के टिकट ही काट दिए

लोकसभा चुनाव 2019 : एंटी इनकम्बेंसी को रोकने के लिए भाजपा नें 90 मौजूदा सांसदों के पत्ते काटे, ये एंटी इनकम्बेंसी आरक्षित सीटों पर कई गुना ज्यादा

नईदिल्ली : आरक्षित सीटों पर ज्यादा एंटी इनकम्बेंसी होने के कारण 40% सांसदों को भाजपा नें टिकट नहीं दिया |

17वीं लोकसभा चुनाव का रण जारी है आज 29 अप्रैल को चौथे चरण में मतदान भी हो रहे हैं | इधर इन्ही चुनावों से हमारे पास कुछ डाटा निकलकर सामने आए हैं जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है |

आपको बता दें कि इस चुनाव में जहाँ सत्ताधारी भाजपा के लिए मुकुट बचाने की लड़ाई हैं वहीं कांग्रेस के लिए अस्तित्व की | जाहिर है 5 साल सत्ता में रहने के बाद किसी भी पार्टी या उम्मीदवारों के लिए फिर से वापस आने के लिए चुनाव प्रचार करने जाना पड़ता है लेकिन उन सांसदों नें अगर 5 साल जनता को मुँह नहीं दिखाए हैं फिर उनके लिए खटिया भी खड़ी हो जाती है और बड़े बड़े धुरंधर चुनावों में जनता के सामने पानी माँगते नजर आते हैं और हार भी जाते हैं | ऐसा ही हाल भाजपा के मौजूदा सांसदों के साथ भी रहा जिनके कारण पार्टी नें कई सांसदों को इस बार चुनावी मैदान में उतरने से पहले ही रास्ता रोक दिया |

2014 में भाजपा के 282 सांसद जीते थे, 5 सालों में उपचुनावों और कई कारणों को मिलाकर वर्तमान में 268 सांसद ही बचे | लेकिन इन 5 सालों में कई सांसदों के ख़िलाफ़ लोगों का गुस्सा भी दिख रहा था इसके कारण कुछ स्थानीय मुद्दे भी रहे |

कुल मिलाकर सभी प्रकार की एंटी इनकम्बेंसी को रोकने के लिए भाजपा नें 33% यानी 90 मौजूदा सांसदों के पत्ते काट दिए | वहीं ये एंटी इनकम्बेंसी आरक्षित सीटों पर कई गुना ज्यादा थी इसके लिए कुछ लोगों का मानना है कि SC-ST एक्ट में बदलाव बहुत बड़ा कारण रहा | यही कारण है कि पिछले 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी और एमपी में तो नोटा नें भाजपा की मुँह से जीत छीन ली |

आपको बता दें कि टिकट काटे गए सांसदों में सबसे ज्यादा यूपी से 19, एमपी से 12, राजस्थान व गुजरात से 10-10 सांसद हैं |

543 सीटों वाली लोकसभा में 131 सीटें SC-ST के लिए आरक्षित होती हैं, इनमें से 67 सीटें भाजपा के खाते में थीं |

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