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एमपी : जीडीपी के हिसाब से अंगोला के बराबर, गरीबो में श्रीलंका की आबादी पिछाड़ी
मध्य प्रदेश : देश के दूसरे सबसे बड़े सूबे और भारत का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश में आंकड़ों का खेल कैसे राज्य के विकास की तस्वीर गड रहा है चलिए आज जानते है :
- जीडीपी के हिसाब से अंगोला देश के बराबर है मध्य प्रदेश : भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य मध्य प्रदेश दुनिया के देश अंगोला से बड़ी जीडीपी लिए दहाड़ रहा है परन्तु अगर भारत की बात की जाये तो अकार के हिसाब से तो यह दूसरा सबसे बड़ा राज्य है पर जीडीपी के हिसाब से यह कही पीछे नजर आता है। एमपी ₹8.26 लाख करोड़ की जीडीपी के साथ करीब 7 करोड़ की जनता के साथ जीडीपी के आधार पर दसवे स्थान पर काबिज है।
- करीब 73 प्रतिशत आबादी जानती है पढ़ना लिखना : 73 फीसदी साक्षरता दर के साथ भारत के अन्य राज्य व केंद्र शाषित प्रदेशो की सूचि में बेहद नीचे 28 वे स्थान पर अटका हुआ है।
- क्राइम के हिसाब से टॉप मारता है एमपी : क्राइम रेट की बात करे तो एमपी टॉप तीन में अपनी जगह बड़े आराम से बना लेता है। लिस्ट में तीसरे नंबर पर रहे मध्य प्रदेश राज्य सरकार के सभी दावों की पोल खोल देते है, रेप की बात करे तो उसमे एमपी सूबा टॉप मार रहा है जिसके कारण देश भर में बीजेपी शाषित इस प्रदेश की खिल्लिया चुनावो में उड़ रही है ।
- लाइफ एक्सपेक्टेंसी एट बर्थ : जन्म के समय बच्चे के जीवन जीने की उम्मीद में भी मध्य प्रदेश का बेहद बुरा हाल है । United Nations Development Programme (UNDP) के जारी किये गए 2011 के आंकड़ों के हिसाब से मध्य प्रदेश कुल 21 राज्यों की सूचि में 19 वे नंबर पर आया है।
- 28 राज्यों में गरीबी के आधार पर 7 वे नंबर पर आता है मध्यप्रदेश : रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा जारी की गई वर्ष 2013 की रिपोर्ट के अनुसार सूबे की करीब 32 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन व्यापन कर रही है। गरीबी के हिसाब से श्रीलंका की आबादी से अधिक गरीब अकेले मध्य प्रदेश में रहते है, वही राज्य सरकार दावा करती है की उसने गरीबी हटाने के लिए कई कदम उठाये जो यहाँ फीके फीके नजर आते है।
- बेरोजगारी दूर करने में ठीक ठाक रहा एमपी : मिनिस्ट्री ऑफ़ लेबर एंड एम्प्लॉयमेंट 2015 -16 की रिपोर्ट में झांके तो एमपी में हर 1000 लोगो में 43 बेरोजगार है। वही सबसे कम बेरोजगारी भाजपा शाषित गुजरात राज्य में पाई गयी है।
- कहा से आया मध्य प्रदेश का नाम : आजादी से पहले ब्रिटिश शासन काल में मध्य प्रदेश राज्य का नाम सेंट्रल प्रोविंस था, आजादी के बाद सेंट्रल प्रोविंस और बेरार के नाम से सूबे में कई डिस्ट्रिक्ट जुड़ गए थे। वर्ष 1950 में यह दोनों क्षेत्र छत्तीसगढ़ व मकराई के साथ जुड़ गए व उनका नाम बदल कर सेंट्रल प्रोविंस कर दिया गया जिसका हिंदी में रूपांतरण मध्य प्रदेश के तौर पर सामने आया।
- 22 प्रतिशत आबादी के पास नहीं है शुद्ध पीने का पानी : एमपी राज्य में करीब 22 प्रतिशत आबादी के पास साफ़ पीने का पानी ही नहीं है, भारत सरकार द्वारा जारी किये गए आंकड़े के अनुसार कुल 28 राज्यों में मध्य प्रदेश 10 वे नंबर पर आता है जिनके पास साफ़ पीने का पानी है ।
- खुले में शौच मुक्त राज्य की सूचि में दूर दूर तक नहीं है एमपी : कुल जारी 11 शौच मुक्त राज्यों की सूचि में एमपी का नमो निशान नहीं दिखता है, अभी भी करीब 6 प्रतिशत इलाका शौच मुक्त नहीं हो पाया है।