हरियाणा में प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय युवाओं को मिलेगा 75% आरक्षण, गजट अधिसूचना जारी
चंडीगढ़: हरियाणा की प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय उम्मीदवारों को 75% हिस्सेदारी” देने वाला कानून राज्य में लागू हो गया है।
शनिवार को हरियाणा सरकार की एक गजट अधिसूचना साझा करते हुए उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि बड़े गर्व और खुशी के साथ आप सबसे सांझा कर रहा हूं कि ‘हरियाणा राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2020’ आज हरियाणा प्रदेश में लागू हो गया।
चौटाला ने आगे यह भी कहा कि दीपावली का ये तोहफा हरियाणा प्रदेश के युवाओं के लिए सुनहरा भविष्य ले कर आएगा। बधाइयां। संघर्ष के सभी साथियों को दिल से आभार।
जबकि इस फैसले पर सरकार में सहयोगी जेजीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने कहा कि जिन लक्ष्यों को लेकर हमने जजपा का गठन किया उसमें एक महत्वपूर्ण पड़ाव आज पूरा हुआ। “हरियाणा की प्राइवेट नौकरियों में स्थानीय कैंडिडेट्स को 75% हिस्सेदारी” देने वाला कानून 15 जनवरी 2022 से लागू होने जा रहा है। आज युवाओं के लिए डबल दीवाली है।
गौरतलब है कि इसी साल मार्च में राज्यपाल ने एक विधेयक को मंजूरी दी थी जिसमें राज्य के लोगों के लिए 50,000 प्रति माह तक सकल वेतन के साथ निजी क्षेत्र की नौकरियों का 75 प्रतिशत है।
राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया था कि हरियाणा के युवाओं को राज्य के निजी उद्योग में 75% रोज़गार के बिल पर राज्यपाल ने अपनी सहमति दे दी है। आगे की नोटिफिकेशन की प्रक्रिया जल्द हो जाएगी और बिल आगे बढ़ेगा।
गौरतलब है कि पिछले साल राज्य की विधानसभा द्वारा निजी क्षेत्र में आरक्षण सम्बंधित कानून पारित किया गया था। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि राज्य के युवाओं को अब निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, जिसमें कंपनियां, सोसायटी और ट्रस्ट शामिल हैं।
स्थानीय लोगों के लिए निजी क्षेत्र में आरक्षण, चौटाला की जननायक जनता पार्टी का मुख्य चुनावी वादा था, जिसने भाजपा के साथ गठबंधन में राज्य में सरकार बनाई थी।
चौटाला द्वारा पिछले साल पेश किया गया यह बिल निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए हरियाणा के मूल निवासियों के लिए ₹ 50,000 प्रति माह तक के वेतन के साथ 75 प्रतिशत नौकरियों को आरक्षित करना अनिवार्य बनाता है।
सरकार को हर महीने पंजीकृत 50,000 तक की कमाई करने वाले सभी कर्मचारियों का विवरण दर्ज करना होगा, सरकार ने कहा था कि ऐसा करने में विफलता के तीन महीने के भीतर कानून बनने पर जुर्माना लगेगा।
हरियाणा सरकार ने कहा था कि आरक्षण सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से वांछनीय होगा।