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ब्राह्मण पुजारी बनाने के बोर्ड के फैसले को केरल हाई कोर्ट में चुनौती, कहा ये छुआछूत को बढ़ावा देगा

Story Highlights
  • टीडीबी बोर्ड के इस नोटिफिकेशन के अनुसार मंदिर का मुख्य पुजारी सिर्फ मलयाला ब्राह्मण ही बन सकता है
  • याचिकाकर्ताओं के वकील के अनुसार हमें इस अस्पृश्यता से मंदिर को मुक्त करना है इसलिए इस नोटिफिकेशन को रद्द किया जाना चाहिए

केरल. त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) के अंतर्गत आने वाले सबरीमाला और मलिकप्पुरम मंदिरों में मुख्य पुजारी को लेकर जारी किये गए नोटिफिकेशन को केरल हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। टीडीबी बोर्ड के इस नोटिफिकेशन के अनुसार मंदिर का मुख्य पुजारी सिर्फ मलयाला ब्राह्मण ही बन सकता है जिसे एक व्यक्ति ने छुआछूत बताते हुए कोर्ट में चुनौती दी है।

कोर्ट में हुई सुनवाई
याचिकाकर्ताओं के वकील जी मोहन गोपाल और टीआर राजेश ने कोर्ट में बहस के दौरान कहा कि सबरीमाला मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ देश भर से सभी पंथों और जातियों के लोग बड़ी आस्था और भक्ति के साथ आते हैं। हमें इस अस्पृश्यता से मंदिर को मुक्त करना है इसलिए इस नोटिफिकेशन को रद्द किया जाना चाहिए। वहीं बोर्ड का कहना है कि यह एक पुरानी प्रथा है जिसका छुआछूत से कोई लेना देना नहीं है। यहां तक सभी प्रकार के ब्राह्मण मुख्य पुजारी नहीं बनाये जा सकते हैं। केवल मलयाला ब्राह्मण ही मुख्य पुजारी की भूमिका में मंदिर की सेवा कर सकता है।

हालांकि याचिकाकर्ता के वकीलों ने कहा कि वर्गीकरण का उद्देश्य इस सिद्धांत पर आधारित है कि गैर-मलयाला ब्राह्मण (और कुछ ब्राह्मण समुदाय) अपने निम्न स्तर और शुद्धता की कमी के कारण इन मंदिरों में पुजारी नहीं हो सकते। जैसा कि यह वही सिद्धांत है जो अस्पृश्यता को रेखांकित करता है, वर्गीकरण भी संविधान के अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता के सभी रूपों का निषेध) का उल्लंघन करता है।

विष्णु नारायणन सहित गैर-ब्राह्मण समुदायों के पुजारियों द्वारा दायर अधिसूचना के खिलाफ सात याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं। न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति पीजी अजित कुमार की खंडपीठ ने शनिवार को एक विशेष बैठक में याचिकाओं पर सुनवाई की। अदालत ने मामले में राज्य सरकार के पक्ष को सुनने के लिए मामले की सुनवाई 17 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।

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