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ISRO ने रचा एक और इतिहास, GSAT-29 सैटेलाइट हुआ सफलतापूर्वक लॉन्च

इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर रमेश कपूर ने सीएनएन से बात करते हुए कहा कि "एक समय ऐसा था जब हमे यह तकनीक देने से मना कर दिया गया था, लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और स्वदेशी तकनीक के द्वारा क्रायोजेनिक इंजन को बनाया"।

नई दिल्ली :- आज रात को जब हिंदुस्तान सोने जा रहा होगा तो उसके बच्चों को आसमान में उड़ता हुआ भारत दिखाई देगा, बल्कि हम यह कह सकते हैं कि पूरी दुनिया आज नीचे होगी और भारत आसमान में अपनी एक और उड़ान भर रहा होगा। हम यह बातें आपसे इसलिए कर रहें हैं, क्योंकि इसरो ने आज शाम एक GSAT-29 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है।

दरअसल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और इतिहास रचते हुए 14 नवंबर को तमिलनाडु के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से संचार उपग्रह GSAT- 29 को लॉन्च कर दिया  है।

इस संचार उपग्रह को लॉन्च करके भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाई है। पहले ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि इसके लॉन्च कि तारीख को बढ़ाया जा सकता है, क्योकि समुद्र में तूफान उठ रहा था। लेकिन जैसे ही मौसम साफ़ हुआ इसरो ने सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया।

इसरो के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, GSAT-29 सैटेलाइट लांच होने के महज 16 मिनट के बाद ही जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट ने उपग्रह को पृथ्वी से लगभग 36 हजार किलोमीटर दूर स्थित कक्षा में स्थापित कर दिया है। इस उपग्रह के लांच होने का वीडियो समाचार एजेंसी एएनआई ने साझा किया है।

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इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर रमेश कपूर ने सीएनएन से बात करते हुए कहा कि “एक समय ऐसा था जब हमे यह तकनीक देने से मना कर दिया गया था, लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और स्वदेशी तकनीक के द्वारा क्रायोजेनिक इंजन को बनाया”।

हम आपको यह बता दें कि इस सैटेलाइट के माध्यम से देश के दूरदराज के क्षेत्रों में हाई स्पीड डेटा को ट्रांसफर करने में मदद मिलेगी।

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