हिंदू दर्शन व चिंतन से प्रभावित होकर इंडोनेशिया से मतांतरण कराने आए पादरी रॉबर्ट बन गए संघ प्रचारक डॉ सुमन कुमार
रांची: लालच और बहकावे में गरीब हिंदुओं के धर्मांतरण की खबरें आए दिन सामने आती रहती है। किंतु इस बार इंडोनेशिया के एक जाने माने पादरी के हिंदू दर्शन और चिंतन से प्रभावित होने की खबर सामने आई है।
कभी मतांतरण के काम में लगे पादरी राबर्ट सॉलोमन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा और संघ के अधिकारियों से मिले तो उनके प्रेम से इतने प्रभावित हुए कि स्वयं मतांतरित होकर डा. सुमन कुमार संघ के प्रचारक बन गए।
ये बातें सुमन कुमार द्वारा दैनिक जागरण को दिए एक इंटरव्यू में सामने आई हैं। संघ ने भी नया प्रयोग किया कि आरएसएस के विचारों को समझने के लिए इंडोनेशिया के जकार्ता से भेजे गए पादरी को अपनाने का निर्णय लिया और उस समय के प्रचारकों ने इन्हें इतना प्रेम दिया कि वे फिर भारत के ही होकर रह गए।
आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आर्गेनिक रसायन में रिसर्च करने के दौरान ही वे पादरी बन चुके थे और मतांतरण के काम से इनका भारत के तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में आना-जाना 1982 से शुरू था।
संघ की गतिविधियों को नजदीक से समझने के लिए ईसाई मिशनरियों ने 25 वर्ष की उम्र में 1984 में इन्हें भारत भेजा और दो वर्षों में संघ के कामों को नजदीक से देखने और हिंदू चिंतन व दर्शन से इतने प्रभावित हुए की स्वयं को हिंदू बनना स्वीकार किया। 1986 में मतांतरित होकर आर्य समाज पद्धति से हिंदू सनातन धर्म स्वीकार कर लिया। उसी वर्ष संघ के प्रचारक बन गए और हिंदू जागरण मंच के काम में लगाए गए।
बुंदेलखंड के उरई जिला में संघ के संपर्क में आए :
सुमन कुमार ने इंटरव्यू में बताया कि वे सबसे पहले बुंदेलखंड के उरई जिला में संघ के संपर्क में आए। जहां मैंने आवास रखा था वहीं नजदीक में संघ की शाखा लगती थी। मैं शाखा पर जाने लगा। संघ की शाखा सभी वर्ग के लोगों के लिए शुरू से ही खुला है। स्वयंसेवकों के कामों को नजदीक से देखा। उस समय के उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक जयगोपालजी के संपर्क में आया। उनका बौद्धिक सुना। उसी दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह जो अभी उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं के संपर्क में आया। फिर संघ के प्रचारक ओंकार भावे जी, जो विहिप के संगठन मंत्री भी थे से संपर्क हुआ। मेरे सामने भाषा की समस्या थी। हिंदी आती नहीं थी। ओंकार भावे ने संघ की अंग्रेजी में पुस्तकें उपलब्ध कराई। स्वामी विवेकानंद की पुस्तकों को पढ़ा। फिर संघ के कामों को देखने के बाद मैंने तीन माह में ही मिशनरी को अपनी रिपोर्ट भेज दी।
संघ के वरिष्ठ प्रचारक और आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डा. अशोक वार्ष्णेय कहते हैं कि सुमन कुमार को उस समय के संघ के प्रचारकों ने पुत्र की तरह पाला। ठाकुर राम गोविंद सिंह तो उनको पुत्र और वे उन्हें पिता मानने लगे थे, जो उत्तर प्रदेश के हिंदू जागरण मंच के संगठन मंत्री थे। ईसाई होने के कारण संघ ने नया प्रयोग करते हुए इन पर विश्वास किया और वे भी संघ की विचारधारा में पूरी तरह रंग गए। सुमन कुमार ने भाषा की समस्या को दूर करने के लिए वर्तमान अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन से काफी सहयोग लिया। आज हिंदू जागरण मंच के उत्तर पूर्व क्षेत्र (झारखंड-बिहार) के संगठन मंत्री का दायित्व निभा रहे हैं और संघ के तृतीय वर्ष में प्रशिक्षित हैं।