आदिवासी बाहुल्य गाँव में बारिश के लिए नाबालिग बच्चियों को परिजनों ने निर्वस्त्र कर घुमाया
दमोह: मध्य प्रदेश के दमोह जिले के आदिवासी बाहुल्य बनिया गाँव में बारिश के लिए टोटके के नाम पर नाबालिग बच्चियों को निर्वस्त्र कर उन्हें गांव में घुमाया गया। बारिश के टोटके के नाम पर बच्चियां को अपने कंधे पर मेंढकी बंधी मूसल रखकर घुमाया गया। इतना ही नहीं बच्चियों से भीख मांगने के लिए कहा गया। ग्रामीणों का मानना है कि इससे पर्याप्त मात्रा में बारिश होगी।
दमोह क्षेत्र इस बार कम बारिश होने की वजह से सूखे की आशंका झेल रहा है। ग्रामीणों द्वारा अच्छी बारिश की उम्मीद में नाबालिग बच्चियों को नग्न कर गांव में घुमाया गया। आदिवासी बाहुल्य बनिया गांव के लोगों की मान्यता है कि बारिश कम होने पर खेर माता की मूर्ति पर एक टोटका करना होता है। इसके लिए छोटी बच्चियों को बिना कपड़े के खेर माता के मंदिर तक जाना होता है।
कौन है खेर माता ?
खैर दरअसल एक पेड़ है। जोकि दमोह क्षेत्र में बहुतायत में पाया जाता है। यहाँ के आदिवासी समूहों में इस वृक्ष के प्रति विशेष श्रद्धा होती है। कुछ गाँवों में इस पेड़ के पास मंदिर/ देवस्थान बनाकर आदिवासियों द्वारा इसकी पूजा की जाती है। इन्हीं खेर माता को प्रसन्न करने के लिए ग्रामीणों ने इस टोटके को किया था। इतना ही नहीं विभिन्न आदिवासी समूह के लोगों द्वारा खैर माता, आमबाबा, चिड़ोल माता ऐसे कई देवी-देवताओं की पूजा करने का प्रचलन है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने मामले में दमोह के कलेक्टर को नोटिस भेजा है। गांव में हुए इस घटनाक्रम के बाद दमोह के एसपी ने बताया कि मामले की जांच की जाएगी। अगर जबरदस्ती इन बच्चियों को घुमाया गया है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
आदिवासियों में प्रचलित है इस तरह की परंपराए
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी टोटके या अन्धविश्वास पर सवाल उठा हो। इससे पहले भी आदिवासी समाज में नागफनी के काँटों पर लेटने और अंगारों पर चलने जैसी घटनायें सामने आ चुकी हैं। इससे पहले ओडिशा के मयूरभंज में मनोकामना की पूर्ति के लिए बड़ी संख्या में आदिवासी अंगारों पर चले और नागफनी के कांटों पर लेट गए।
हालाँकि मध्य प्रदेश के दमोह जिले में बीते दिनों हुई इस घटना में शामिल हुई बच्चियों की उम्र लगभग 4 वर्ष थी। दमोह के पुलिस अधीक्षक डीआर तेनिवार ने बताया कि ग्रामीण हर साल बच्चों की सहमति से इस प्रथा का पालन करते हैं। तेनिवार ने कहा कि, क्षेत्र में कम वर्षा होने पर इन परिवारों की महिलाएं गांव में नग्न होकर भीख मांगने वाली लड़कियों को तैयार करती हैं।
तेनिवार ने आगे कहा कि अगर पुलिस द्वारा की जा रही जांच में यह जबरदस्ती की गई प्रथा पाई गई तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने भी इस घटना पर आपत्ति जताते हुए कलेक्टर को जवाबतलब किया है। आयोग ने 10 दिनों के अंदर कलेक्टर से बच्चियों का एज सर्टिफिकेट भी पेश करने को कहा है।