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टिक टॉक वीडियो में नाचने से दर्ज हुआ था SC-ST एक्ट, कोर्ट ने कहा न्याय का मजाक बना दिया है

चंडीगढ़: टिकटॉक की वीडियो में एक गायक की धुन पर नाचने भर से एससी एसटी एक्ट दर्ज होने पर कोर्ट ने इसे न्याय का मजाक बताया है। मामले में आरोपी बनाये गए मनदीप की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर एससी एसटी एक्ट में अग्रिम जमानत के लिए गुहार लगाई गई थी जिसपर कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करी है।

दरअसल याचिकाकर्ता ने 40 वर्ष पूर्व स्वर्गवासी हो चुके पंडित जगदीश चंदर वत्स की लिखी एक रागिनी को बैकग्राउंड संगीत की तरह प्रयोग कर उसपर डांस की एक वीडियो बनाई थी।

जिसपर शिकायतकर्ता ने अपनी FIR में दावा दिया था कि इस गाने पर नाचने से उन्होंने अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के लोगों की भावनाओं को आहत किया है। जिसके आधार पर टिक टॉक यूजर मनदीप पर पुलिस द्वारा एससी एसटी एक्ट की धारा 3 (i) (v) के तहत एफआईआर संख्या 450 दायर की गई थी।

बहस के दौरान सरकारी वकील ने जमानत दिए जाने का पुरजोर विरोध किया। सरकारी वकील के अनुसार वह तथ्यात्मक स्थिति पर सवाल नहीं कर रहे है लेकिन एससी एसटी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार जमानत नहीं दी जा सकती है। जिसपर जस्टिस फतेह दीप सिंह की खंडपीठ
ने कहा कि “याचिकाकर्ता न तो लेखक/रचनाकार है और न ही उस गीत का संगीत तैयार किया है, जिसे 40/50 साल पहले उस व्यक्ति द्वारा तैयार किया गया था, जिसकी मृत्यु हो चुकी है। न्यायालय का विशिष्ट सवाल था कि गाने की धुन पर केवल नृत्य करने और एक वीडियो तैयार करने से जाति विशेष की भावनाएं कैसे आहत हो जाती हैं, यह एक ऐसा सवाल है जो बहस का विषय है और जिस पर केवल मुकदमे के समय ही फैसला हो सकता है। “

आगे माननीय अदालत ने अपने आदेश में इसे न्याय का मजाक बताते हुए अपनी नाराजगी जाहिर करी। कोर्ट ने आगे कहा कि “याचिकाकर्ता के पास से कुछ भी बरामद नहीं किया गया है। एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (i) (v) के प्रावधानों की प्रयोज्यता उसके बाद ही तय की जाएगी। याचिकाकर्ता को सलाखों के पीछे भेजना न्याय का मजाक होगा।”

जिसके आधार पर मामले पर कोर्ट ने आरोपी बनाये गए मंजीत को अग्रिम जमानत मुहैय्या कराई है।

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