IIM अहमदाबाद में मेरिट को तबज्जो, Phd में SC-ST आरक्षण नहीं !
अहमदाबाद : हाईफाई संस्थान IIM-A में मेरिट को देखते हुए कोई भी आरक्षण नहीं दिया जा रहा है ।
भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (IIM-A) ने अपने 2020 पीएचडी प्रोग्राम इन मैनेजमेंट में किसी तरह के आरक्षण लागू करने का कोई प्रावधान नहीं किया है।
IIM-A नें गुरुवार 20 सितंबर को शिक्षण सत्र 2020 के लिए मैनेजमेंट में Phd के लिए आवेदन मांगे हैं जिसके विज्ञापन में कोई भी आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया ।
आपको बता दें कि संस्थान द्वारा Phd किए हुए छात्र देश विदेश के बड़े बड़े संस्थानों में शोधकर्ता, शिक्षण कार्य, या कार्पोरेट घरानों में पद सम्भाल रहे हैं । संस्थान अब तक 378 Phd धारकों को डिग्री दे चुका है जोकि हाई प्रोफाइल पदों पर जा चुके हैं ।
इधर जब देश के प्रमुख प्रबंधन संस्थान ने पिछले सप्ताह अपने डॉक्टरेट कार्यक्रम के लिए पिछले सप्ताह अपना एडमिशन पोर्टल खोला, तो उसमें SC/ST कोटे के लिए कोई प्रावधान नहीं था।
देश के चुनिंदा शिक्षण संस्थाओं में से भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद में देश की क्रीम मेरिट को ही जगह मिलती है । जब भी विश्व में रैंकिंग की बात आती है तो इसका भी नाम लिया जाता है ।
यही कारण है कि संस्थान नें मैनेजमेंट में डाक्ट्रेट की डिग्री में आरक्षण का प्रावधान नहीं रखा है । एडमिशन पोर्टल पर संस्थान नें इस प्रोग्राम के बारे में आवेदन मांगे हैं उनमें मेरिट का ध्यान खींचा है ।
संस्थान लिखता है “पीएच.डी.मैनेजमेंट प्रोग्राम के लिए उत्कृष्ट शैक्षणिक योग्यता, बौद्धिक जिज्ञासा और अनुशासन के साथ उम्मीदवारों की आवश्यकता है।”
इस घटनाक्रम के बाद कुछ फैक्लटी व एलुमिनाओं नें नाराजगी भी जताई इसी कड़ी में IIM अहमदाबाद के एलुमिना सिद्धार्थ जोशी नें IIM-A डायरेक्टर इरॉल डिसूज़ा को खुले पत्र में लिखा कि “IIM अधिनियम 2017 जो IIM संस्थाओं को अभूतपूर्व स्वायत्तता प्रदान करता है और उन्हें पहले स्थान पर P.hd की डिग्री प्रदान करने का अधिकार देता है, यह भी स्पष्ट करता है कि उन्हें केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों (प्रवेश में आरक्षण) के प्रावधानों को अधिनियम, 2006 के तहत पालन करना चाहिए ।”
IIM Ahmedabad, has invited applications from prospective researchers for its doctoral programme but the advertisement has no provision for reservation, triggering criticism that it was blatantly violating a central law.https://t.co/011scGxnOJ
— The Telegraph (@ttindia) September 19, 2019