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सरकारी स्कूल में जाति के आधार पर मिलती है राशि, सवर्णो का सबसे बुरा हाल

हाथ लगे आंकड़ों से हमें पता चला की अगर आपका होनहार छात्र अनुसूचित जाति से है तो उसे सालाना 5000 ₹ की आर्थिक मदद सरकार देगी वही आप obc से है तो आपको 4000 ₹ और आप अगर सवर्ण पैदा हुए है तो आपका यह आंकड़ा महज 2000 ₹ पर सिमट कर रह जाता है।

नई दिल्ली : आज हम ऐसे विषय को उठाने जा रहे है जिसको सारी मीडिया जानते हुए भी रोजाना दरकिनार कर देती है। दरअसल दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों को सरकार सालाना कुछ आर्थिक मदद देती आई है ताकि छात्र बीच में अपनी पढाई न छोड़ दे।

जिसपर दिल्ली सरकार का भारी भरकम 13997 करोड़ ₹ का बजट फूंक दिया जाता है परन्तु आज हमको एक चौकाने वाले आंकड़े हाथ लगे है। सरकार जाति के आधार पर भेदभाव स्कूल स्तर से ही शुरू कर देती है, सरकारी स्कूलों में ही बच्चो को सीखा दिया जाता है की आप किस जाति से है आपकी जात छोटी है या बड़ी। स्कूली छात्रों को उनकी जात के आधार पर आर्थिक मदद की जाती है बेशक उनकी आर्थिक हालत उनसे दयनीय क्यों न हो।



हमारे हाथ लगे आंकड़ों से हमें पता चला की अगर आपका होनहार छात्र अनुसूचित जाति से है तो उसे सालाना 5000 ₹ की आर्थिक मदद सरकार देगी वही आप obc से है तो आपको 4000 ₹ ही मिलेंगे और बदकिस्मत होकर आप अगर सवर्ण पैदा हुए है तो आपका यह आंकड़ा महज 2000 ₹ पर सिमट कर रह जाता है।

Image Credit : buddy4study

बदकिस्मत हम नहीं बल्कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने खुद को कहा, बदरपुर नंबर 2 सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले 11वी के छात्र रोहित सिंह ने हमें बताया की कैसे उनकी जात के आधार पर उनसे भेदभाव होता है जबकि हम सभी एक ही हालातो में पढ़ व पल रहे है फिर भी उनके पीछे सिंह लगा है तो सरकार उन्हें जन्मजात धन वान व सामाजिक रूप से अगड़ा मान लेती है।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिशोदिया जी (Image Source : livemint)

रोहित ने कहा की ” अगर मै इतने ही पैसे वाला होता तो क्या मै सरकारी स्कूल में पढता? क्या मै किराय के माकन पर रहता? पर हमारी सुनने वाला कौन है, मुझे नहीं पता हमारा सविधान किस बात की बराबरी की बात करता है”। रोहित की ही तरह ना जाने कितने ही छात्रों ने हमें घेर लिया और अपना दर्द बातो से छलकाने लगे।



रोहित की ही तरह एक अन्य छात्र ने विशाल शर्मा ने हमें बताया की “मैम, हमें जो पैसे कम मिलते है वो तो मिलते ही है, साथ ही सरकार की तरफ से कोई स्कालरशिप हमारे लिए नहीं बनायीं गई है वहीँ अनुसूचित और पिछड़े वर्ग से आने वाले छात्रों के लिए स्कॉलरशिप्स की भरमार है बताइये हम क्या करे?”

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दरअसल सरकार का यह रवैया हमें भी समझ नहीं आया की एक ही जैसे हालातो में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार ही जाति के आधार पर बाँट कर तय करती है किसे आर्थिक मदद देनी है किसे नहीं।

इंटरनेट छानने पर हमने पाया की पिछले 4 सालो पर केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार द्वारा ऐसी कोई योजना नहीं चलाई गई है जिससे कोई गरीब सामान्य अंक वाला छात्र अपनी जात बताये बिना सरकारी छात्रवृत्ति का लाभ उठा पाए। “फलाना दिखाना” की तरफ से इस योजनाओ पर RTI डाली गई है जिसपर सरकार का जवाब आना बाकी है।

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