अंतर्जातीय विवाह: ‘आरक्षण लेने के लिए नहीं बदल सकते जाति’- मद्रास हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फ़ैसला
चेन्नई (TN) : हाईकोर्ट नें महत्वपूर्ण फ़ैसले में कहा कि रिजर्वेशन लेने के उद्देश्य से जाति को अंतर्जातीय विवाह के बाद भी नहीं बदला जा सकता।
मद्रास हाईकोर्ट नें अंतरजातीय विवाह को लेकर पिछले महीने एक महत्वपूर्ण व फ़ैसला सुनाया है।
पिछले महीने पारित इस ऐतिहासिक फैसले में मद्रास उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि “अनुसूचित जाति के व्यक्ति से शादी करना, किसी को आरक्षण के उद्देश्य के लिए जाति में बदलाव का दावा करने का अधिकार नहीं देता है।
न्यायमूर्ति आर सुब्बैया और सी सरवनन की खंडपीठ ने इस निर्णय को पास करते हुए कहा, “किसी की आस्था बदलने से या किसी दूसरे समुदाय से संबंधित व्यक्ति से शादी करने से, कोई व्यक्ति अपने समुदाय को नहीं बदलता है।”
इसलिए, अदालत ने पाया कि अनुसूचित जाति आरक्षण का लाभ एक कर्मचारी द्वारा ‘हिंदू आदि द्रविड़’ जाति (एक अनुसूचित जाति) के एक सदस्य से उसकी शादी का हवाला देकर नहीं लिया जा सकता है।
न्यायालय ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा दायर एक अपील में सुनवाई कर रहा था, जिसमें 2015 के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई थी, जो उस महिला के पक्ष में पास हो गया था, जिसे अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित पद के खिलाफ कंपनी में सहायक टाइपिस्ट के रूप में नियुक्त किया गया था।
महिला कर्मचारी मूल रूप से तमिलनाडु में एक पिछड़े वर्ग समुदाय ‘वन्निया कुला शत्रिया’ समुदाय की थी। हालाँकि, हिंदू आदिवासी अनुसूचित जाति के व्यक्ति से उसकी शादी के बाद, उसने अपने लिए तहसीलदार से अनुसूचित जाति समुदाय का प्रमाण पत्र प्राप्त किया था।
Inter-caste marriage does not change caste for reservation benefits: Madras High Court [Read Judgment] https://t.co/9Gizpze7Rx
— Bar & Bench (@barandbench) October 31, 2019