ब्राह्मणों और राजपूतों के आर्थिक आरक्षण की मांग ने बढ़ाई बीजेपी और कांग्रेस की मुसीबत
ब्राह्मण समाज ने 14% आर्थिक आरक्षण और विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर ब्राह्मण समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने की मांग की है।
नई दिल्ली :- जब से हमारा देश आजाद हुआ तब से आरक्षण पर खूब राजनीति होती चली आयी है और अभी भी यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। हर बार जब भी चुनाव आते हैं तो राजनीतिक पार्टियाँ एक ख़ास समाज को आरक्षण देने की बात करती हैं। यहाँ तक की हमारे देश में तो कुछ पार्टियों का जन्म ही आरक्षण के वादे पर हुआ है।
इसी साल 4 राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में चुनाव होने हैं और हर समाज अपने-अपने लिए आरक्षण की मांग कर रहा है। एक ऐसी ही मांग राजस्थान में ब्राह्मणों और राजपूतों की तरफ से की गई है। हम आपको बता दे कि राजस्थान में इसी साल 7 दिसंबर को चुनाव होने हैं। बीते गुरुवार को “विप्र फाउंडेशन” नामक एक संस्था ने राजनीतिक पार्टियों को अपना एक 14 सूत्री मांग पत्र सौंपा है। जिसमे उसने ब्राह्मणों के लिए 14% आर्थिक आरक्षण दिए जाने तथा विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर ब्राह्मण समुदाय के उम्मीदवारों को टिकट दिए जाने की मांग करी है। विप्र फाउंडेशन ने प्रोन्नति से आरक्षण खत्म करने की मांग भी की है।
विप्र फाउंडेशन के संस्थापक सुशिल ओझा ने कहा है कि राज्य में हमारी आबादी लगभग 15% है और राज्य के चार मुख्यमंत्री भी ब्राह्मण रह चुके हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक राजस्थान की करीब 55 सीटें हैं जहाँ ब्राह्मण वोटर की संख्या 20-25 हजार है, जबकि यह संख्या 10 विद्यानसभा सीटों पर लगभग 80 हजार है।
दूसरी तरफ राजपूतों ने कहा है कि “हम उस पार्टी को समर्थन देंगे जो पार्टी हमारे समुदाय को सबसे ज्यादा टिकट देगी”। वहीँ, आज राजपूतों ने हुँकार रैली का भी आयोजन किया है।करणी सेना के अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने कहा है कि यदि हमें हमारे अनुसार टिकट नहीं मिले तो राजपूत नोटा दबायेगा।
इन मांगो से सबसे ज्यादा मुसीबत बीजेपी के लिए खड़ी होंगी क्योकि दलित, आदिवासी, जाट और गुर्जर बीजेपी से पहले से ही नाराज है और अब बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक भी उसे वोट न करने की धमकी दे रहा है।