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MP में 27% OBC आरक्षण के साथ 23 हजार पदों पर होगी भर्ती परीक्षा, CM ने की घोषणा

भोपाल: पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर विधानसभा में भी सत्ताधारी दल भाजपा ने कांग्रेस को घेरा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने ओबीसी की पीठ में छूरा भोंका है और इनके कल्याण के लिए कुछ नहीं किया

मध्यप्रदेश पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी भाषण हुआ।

इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने ओबीसी को NEET की परीक्षा में 27% आरक्षण दिया जो ऐतिहासिक है। कांग्रेस की सरकार ने 27% आरक्षण के लिए कोई सदिच्छा से प्रयास नहीं किया। उन्होंने हाईकोर्ट में इसे इसे गंभीरता से नहीं लिया। महाधिवक्ता की जगह अतिरिक्त अधिवक्ता उपस्थित हुए और कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं कर सके।

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस की सरकार के अतिरिक्त महाअधिवक्ता ने अतिरिक्त समय मांग लिया, क्या यही कांग्रेस की इच्छा थी। क्या आप चाहते थे कि ओबीसी को आरक्षण न मिले। इससे तो आपकी यही मंशा प्रकट होती है। मैं पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस ने ओबीसी की पीठ में छूरा क्यों भोंका। कांग्रेस हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट भी नहीं गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल में हमने 8828 पदों पर भर्ती की है। 27 प्रतिशत आरक्षण शासकीय नौकरी में दिया है। 2021-22 में 23 हजार पदों पर भर्ती परीक्षा हमारी सरकार आयोजित करने जा रही है। इसमें 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ओबीसी के कल्याण का दिखावा करती रही, जबकि हम प्रतिबद्ध हैं कि इस वर्ग को शासकीय सेवा में भी 27% दिया जाए। जिन मामलों में कोर्ट ने स्टे नहीं दिया है, वहां हम ओबीसी को 27% का आरक्षण दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सेवा परीक्षा में संशोधन कर कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के हितों के साथ खिलवाड़ किया, जो बच्चे ज्यादा अंक लाकर आरक्षण की सीमा से बाहर भी चयनित हो सकते थे, उन्हें भी आरक्षण के दायरे में ले लिया, ऐसे हजारों बच्चों का भविष्य बर्बाद कर दिया। हमारी सरकार ने विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था की।

पूर्ववर्ती सरकार पर हमला करते हुए मुख्यमंत्री बोले कि हमने पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए जो योजनाएं शुरू की थी, उसे कमलनाथ की सरकार ने आते ही या तो बंद कर दी या तो उसके प्रावधान कम कर दिये। कक्षा 6 से दसवीं तक के 33 लाख बच्चों के लिए हमने 2017-18 में 138 करोड़ रुपये और इसके बाद अगले साल 217 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। कांग्रेस की सरकार ने आकर इसे 190 करोड़ कर दिया। पीएससी में पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के साथ कांग्रेस ने अन्याय किया था।

हमने पिछड़ा वर्ग के रोजगार के लिए जो प्रावधान किए तो उसे भी कांग्रेस की सरकार ने प्रभावित किया। जो रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण के लिए 2017-18 में 20 करोड़ रुपए और इसके बाद 69 करोड़ रुपए का प्रावधान था, इसे कांग्रेस सरकार ने 15 करोड़ कर दिया।

अंत में मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि पंचायती राज अधिनियम में हमने कोई परिवर्तन नहीं किया है। हम प्रतिबद्ध हैं कि पंचायत के चुनाव ओबीसी के आरक्षण के साथ ही हों। हमारे साथ केंद्र सरकार भी कोर्ट में जा रही है।

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