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आइल छठी के त्यौहार, चहिके लागल घर दुआर

उत्तर भारतीयों के सूर्योपासना व निर्जला व्रत का छठ पर्व "नहाय-खाय से शुरू होकर 4 दिनों के उपरांत पारण पर होगा खत्म, लोकप्रियता इस कदर कि पिछली बार दिल्ली सरकार नें की थी छुट्टी

नईदिल्ली : हमार छठ पूजा आइल अउर चहिके लागे सबके दुआर।

भारत के बारे में एक बात कही जाती है कि यह देश त्यौहारों का देश है मतलब यहां हर दिन कोई न कोई पर्व होता है | बीते 7 नवंबर को पूरे देश में दीपोत्सव का पर्व दीपावली बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया | लेकिन इसी के बाद एक और प्रमुख पर्व आता है, हालांकि इस पर्व के बारे में कहा जाता है कि यह आंचलिकता का पर्व है |

जी हम बात कर रहे हैं दीवाली के बाद आने वाले उस पर्व की जो पूर्वी उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड के साथ-साथ पड़ोसी देश नेपाल के तराई वाले इलाकों में मनाया जाता है | इसको छठ का पावन पर्व कहा जाता है, हालांकि इसे अलग अलग जगह और कई नामों से बुलाते हैं जैसे छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई के पूजा, छठ आदि |


छठी माई के पूजा : कब, क्यों और कैसे ?

सूरज की उपासना के इस छठ पूजा का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा स्थान है लेकिन मूलरूप से इसे उत्तर भारतीयों का पर्व कहा जाता है | अगर अब हम नजर डालें इसकी तिथि पर तो यह साल में 2 बार मनाया जाता है, चैत्र महीने वाली छठ चैती छठ और कार्तिक महीने की छठ कार्तिकी छठ कही जाती है | जैसा कि अभी कार्तिक माह चल रहा है तो दीवाली के बाद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर षष्ठी के बाद सप्तमी तक मनाया जाता है |

इस पर्व को मनाने के कई कारणों का वर्णन मिलता है, इस पर्व का रामायण और महाभारत काल से भी सम्बन्ध बताया गया है | पौराणिक मान्यताओं की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम के 14 सालों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर जनक नंदनी माता सीता नें कार्तिकी छठ का व्रत रखा था | वहीं महाभारत काल में सूर्य पुत्र कर्ण नें भी इस व्रत को रखा था इसके अलावा भी कई पौराणिक कथाएँ हैं जिनमें इसका वर्णन किया गया है |


जग कल्याण, निरोगी काया व सुख संपन्नता का प्रतीक माने जाने वाले इस पर्व को एक कठिन व्रतों में से एक कहा जाता है | इसकी एक ख़ास बात यह है कि इसमें कोई मूर्ति पूजा अर्चना नहीं होती बल्कि यह सूर्य और उनकी धर्मपत्नी ऊषा को समर्पित होता है | छठी पूजा में महिलाएं और पुरुष दोनों समान रूप से भाग लेते हैं |

उत्तर भारत ही नहीं, सात समंदर पार भी मनता है छठ :

जो पर्व कभी उत्तर भारत के किसी छोटे से अंचल का पर्व था आज उसकी सीमाएं देश के अलावा अब सात समंदर पार हो चुकी हैं | पूरे भारत में फैले उत्तर भारतीय इस पर्व को जहां रहते हैं वहीं बड़ी ही उत्सुकता और ख़ुशी  में सराबोर होकर मनाते हैं | वहीं नेपाल के अलावा सात समंदर पार अमेरिका, आस्ट्रेलिया व ब्रिटेन जैसे कई देशों में  भी जहाँ ये लोग बसे हुए हैं वहां भी बड़े धूमधाम व  चाव से मनाते हैं |

Bodhgaya: Foreign tourist offers Chhtah Puja items to a devotee in Bodhgaya on Tuesday. PTI Photo(PTI11_17_2015_000131A)

इस पर्व की लोकप्रियता का एक बेहतरीन उदाहरण पिछले साल 2017 में देखा गया था जब दिल्ली सरकार नें खासतौर पर छठ के लिए राज्य में एक दिन के अवकाश की घोषणा की थी |

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