‘जाति मंदिरों में नहीं, नौकरी, राशन, स्कालरशिप व संविधान में पूछी जाती है’- IAS अधिकारी
नई दिल्ली: IAS अधिकारी ने संविधान व जातिवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है।
सोशल मीडिया पर अक्सर लोग जातिवाद को लेकर अपने विचार रखते हैं। वहीं राजस्थान कैडर के IAS अधिकारी का एक बयान सोशल मीडिया पर चर्चा बन गया है। दरअसल IAS संजय दीक्षित ने अपने एक बयान में भारतीय संविधान बनाम मंदिरों में जातिवाद की तुलना को लेकर टिप्पणी की है।
IAS संजय दीक्षित ने बयान में कहा कि “कौन कहता है मंदिरों में जाति पूछी जाती है ? जाति मंदिरों में नहीं, सरकारी नौकरी में, राशन, स्कालरशिप और संविधान में पूछी जाती है।”
कौन कहता है मंदिरों में जाति पूछी जाती है?
जाति मंदिरों में नहीं,
सरकारी नौकरी में, राशन,स्कालरशिप और संविधान में पूछी जाती है।— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) September 4, 2020
पहले भी मनुस्मृति व संविधान की तुलना:
हालांकि इससे पहले भी IAS दीक्षित ने टिप्पणी में कहा था कि “ब्राह्मण का बेटा ब्राह्मण और शूद्र का बेटा शूद्र ही रहेगा, यह बात मनुस्मृति नही, बल्कि भारतीय संविधान का जाति प्रमाण पत्र कहता है !”
आगे उन्होंने सनातन धर्म की तारीफ की और कहा था कि “बाकी सनातन धर्म में तो व्यास, वाल्मीकि, रविदास को भी ब्राह्मण तथा संत की श्रेणी में रखा गया था। कर्म से महान, जय श्री परशुराम।”
कौन हैं IAS संजय दीक्षित:
राजस्थान कैडर के 1986 बैच के IAS अधिकारी हैं संजय दीक्षित जोकि सोशल मीडिया पर एक लेखक की पहचान भी रखते हैं। वो द प्रिंट व स्वराज्यमग के लिए कॉलमिस्ट भी हैं। जबकि राजस्थान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके हैं। साथ ही राजस्थान सरकार के प्रधान सचिव के पद पर भी काम कर चुके हैं।
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