एमपी पेंच

भोपाल: आक्रमणकारियों से लोहा लेने वाली गोंड रानी कमलापति के नाम पर होगा हबीबगंज रेलवे स्टेशन

भोपाल: भारत सरकार द्वारा 100 करोड़ रूपये की लागत से पुनर्विकसित किए गए भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम अब गोंड रानी कमलापति के नाम पर होगा।

शुक्रवार को मध्यप्रदेश सरकार के परिवहन विभाग द्वारा भारत सरकार के गृह मंत्रालय को एक पत्र लिखा गया है जिसमें हबीबगंज रेलवे स्टेशन, भोपाल का नामकरण रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के रूप में किए जाने का अनुरोध किया गया है। इस पत्र को मध्यप्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने साझा किया है।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि भगवान बिरसा मुंडा की जन्म जयंती दिनांक 15 नवंबर को भारत सरकार द्वारा “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया जाकर तदाशय की अधिसूचना जारी की गई है। 16 वीं सदी में भोपाल क्षेत्र गोंड शासकों के अधीन था।

ऐसा माना जाता है कि तत्समय गोंड राजा सूरज सिंह शाह के पुत्र निजामशाह से रानी कमलापति का विवाह हुआ था। रानी कमलापति ने अपने पूरे जीवनकाल में अत्यंत बहादुरी और वीरता के साथ आक्रमणकारियों का सामना किया।

पत्र में आगे कहा गया कि गोंड रानी कमलापति की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाये रखने एवं उनके बलिदान के प्रति कृतज्ञता की अभिव्यक्ति स्वरूप 15 नवंबर, 2021 को जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में राज्य शासन द्वारा हबीबगंज रेलवे स्टेशन, भोपाल का नामकरण रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के रूप में किए जाने का निर्णय लिया गया है।

पीपीपी मॉडल वाला पहला स्टेशन

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को भोपाल में नए तरह से तैयार हुए हबीबगंज रेलवे स्टेशन का लोकार्पण करेंगे। ये देश का पहला रेलवे स्टेशन है जो पीपीपी मॉडल से तैयार किया गया है।

हबीबगंज पुनर्विकास परियोजना के निदेशक के मुताबिक स्टेशन में 700 यात्रियों के बैठने की क्षमता हैं। स्टेशन सौर ऊर्जा से चलता है जो पर्यावरण के लिए अच्छा है।

स्टेशन में दिखेगी मध्यप्रदेश की छटा

स्टेशन के मुख्य द्वार, प्रतीक्षालय में मध्यप्रदेश के पर्यटन एवं दर्शनीय स्थलों, विशेषकर भोपाल शहर और भोपाल के आसपास जैसे भोजपुर मंदिर, साँची स्तूप, भीमबैठिका, बिड़ला मंदिर, सांकाश्यामजी, वीआईपी रोड, तवा डेम, जनजातीय संग्रहालय आदि स्थलों के चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे।

साथ ही मुख्य द्वार के अंदर दोनों ओर की दीवाल पर भील, पिथोरा पेंटिंग्स एवं अन्य आर्ट इफेक्ट्स प्रदर्शित किए जायेंगे। जनजातीय शिल्प कला के रूप में पेपरमेशी से निर्मित जनजातीय मुखौटे को मुख्य द्वार के सामने की वॉल पर लगाया जाएगा।

इससे सम्बंधित

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button