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वाटर डे: खुद की फसल बर्बाद की व रात 10 बजे पशुओं के पानी के लिए खोदी नाली, भरा दिया तालाब

मध्यप्रदेश: 22 मार्च यानी जल दिवस पर रीवा के तिघरा गाँव नें जल संरक्षण का पेश किया अतुलनीय उदहरण , पशुओं को पानी पीने के लिए दूसरे गाँव की नहर से तालाब तक रात में खोदी 1 किलोमीटर लंबी नाली

नईदिल्ली (ब्यूरो भोपाल) : विश्व जल दिवस के दिन एमपी के एक गाँव से जल संरक्षण की प्रेरणादायक खबर आई है जिसे लोग खासा पसंद कर रहे हैं |

दरअसल 22 मार्च को पूरी दुनिया जल संरक्षण, इसके रखरखाव व भविष्य में इसके दोहन आदि विषयों में जागरूकता फ़ैलाने के लिए विश्व जल दिवस के रूप में मनाती है | इधर संयुक्त राष्ट्र नें इस बार सतत विकास पर आधारित एजेंडा-2030 कार्यक्रम के जल दिवस बारे में इस साल थीम रखी है ” लीविंग नो वन बिहाइंड  ” (कोई पीछे न छूटे) | हालांकि आज दुनिया जल की कमी से जूझ रही है, वनों-पर्वतों से पशु-पक्षियों की कई सुंदर प्रजातियाँ बिगड़े जलवायु के चलते लुप्त हो रही हैं या लुप्त होने की कगार पर हैं | लेकिन इसके लिए कहीं न कहीं हम जैसे पढ़े-लिखे लोग ही जिम्मेदार हैं | वहीं इसी मौके पर मध्यप्रदेश के रीवा जिले में सेमरिया तहसील के अंतर्गत आने वाले एक गाँव नें जल बचाने की अद्भुत पहल करके एक मिशाल पेश की है |

दरअसल बात एमपी के जिस छोटे से गाँव ” तिघरा ” की कर रहे हैं उसे लोग सोशल मीडिया से लेकर हर जगह सराह रहे हैं | एक यूजर शालू आदिवासी लिखते हैं ” जलसंरक्षण पर यह बहुत अच्छा काम हो रहा है इससे जल की सुविधा में जीव-जंतुओं को भटकना नहीं पड़ेगा ” |

इस खबर के पीछे का किस्सा भी लोगों नें फलाना दिखाना की टीम से शेयर किया जिसमें कई बातें निकलकर सामने आई हैं | दरअसल इस तिघरा गाँव में सालों पुराना एक तालाब है, इसे यहाँ के लोग ” मान सरोवर ” कहते हैं, यहीं तालाब के किनारे हनुमान जी का एक भव्य मंदिर भी है | गर्मी के दिनों में जब खेतों की फसलें कट जाती हैं तो आसपास के गाँव वाले अपने पशुओं को ऐरा (खुला) छोड़ देते हैं | लेकिन इसी बीच बढ़ते तापमान के कारण सभी छोटे-बड़े नदी-नाले व ताल-तलैया सूख जाते हैं | वहीं जब गाँव के लोगों को पशुओं के पानी पीने की समस्या की चिंता हुई तो उन्होंने ये बात स्थानीय सांसद व विधायक से भी कही लेकिन इसे हल्का फुल्का मुद्दा समझकर अनसुना कर दिया |

लेकिन गाँव वालों नें हार नहीं मानी और फैसला किया कि अब इस अच्छे काम के लिए वो खुद पहल करेंगे | फिर क्या था दिन आया होली का जब सभी होली के रंग में सराबोर होकर त्यौहार मना रहे थे इसी बीच गाँव के कुछ लोगों नें पास के दूसरे गाँव पटेहरा की एक नहर की माइनर शाखा से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तक नाली खोदने की योजना बनाई | ताकि इस नाली द्वारा नहर का पानी गाँव तिघरा के तालाब तक पहुंचाया सके | इस कार्य के लिए कुछ युवाओं नें स्वयं ही श्रमदान का फैसला करते हुए 20 मार्च को रात 10 बजे ही इसे शुरू कर दिया | बाद में यह देखकर काफ़ी लोग इकट्ठा हुए और सबने अपना अपना योगदान दिया और अंत में 22 मार्च के दिन लगभग 1 किलोमीटर लंबी नाली बिना सरकारी मदद के लोगों नें खोद डाली | जिसके द्वारा नहर से पानी तालाब तक पहुंचने लगा, अब तालाब का जल स्तर भी ऊपर आ चुका है | हालांकि इसका सबसे ज्यादा फायदा मनुष्यों को नहीं बल्कि पशुओं व जीव-जन्तुओं को होगा क्योंकि उनके पानी पीने के लिए कहीं भटकने की जरुरत नहीं होगी |

इस सराहनीय काम पर फलाना दिखाना की टीम नें इन लोगों से बात भी की तो पता चला कि इस दौरान खेत में पानी भर जाने के कारण कुछ किसानों की फसलें भी बर्बाद हुई हैं | लेकिन किसानों को इस बर्बादी का एक भी गम नहीं है बल्कि इसके उलट एक किसान मनोज शुक्ला कहते हैं ” मेरी फसल बर्बाद हुई, ये तो छोटी बात है लेकिन इस नुकसान के कारण पशुओं को पानी मिल सके ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है ” |

राकेश तिवारी कहते हैं ” ये हमारा छोटा सा काम आगे चलकर लोगों के लिए प्रेरणादायक बनेगा ” | इस अद्भुत काम को अंजाम देने से लेकर इसकी परिकल्पना करने का श्रेय जाता है इसी तिघरा गाँव के निवासी व पूर्व जल उपभोक्ता सदस्य श्री राम अनुग्रह, वर्तमान जल उपभोक्ता सदस्य श्री मन भरण, देवी पाण्डेय, संजय तिवारी, अंकित मिश्रा, संतोष तिवारी, राज किशोर, जितेन्द्र तिवारी, छोटन कोल और अन्य ग्रामवासियों को |

इसके कार्य के द्वारा जहाँ क्षेत्र का जल सत्र बढ़ेगा वहीं आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण भी बन गया है |

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