लग जा गले, रिश्तों को मिली हैं ये घडियां नसीब से
17 दिसंबर को वसुंधरा राजे व उनके भतीजे ज्योतिरादित्य के राजनीतिक मैदान में मिलन की तस्वीर को लोग अटल जी की पंक्तियों से जोड़ते हैं कि "पार्टियां आती-जाती रहेंगी, लोकतंत्र जिंदा रहना चाहिए"
जयपुर : राजनीति में अक्सर एक बात कही जाती है सियासत का कोई रिश्ता नहीं होता ” | हां ये बात भी 100 टके की है लेकिन ये भी सही है कि ” राजनीति में मत का भेद होना चाहिए, न कि मन का ” | ऐसी ही एक तस्वीर आजकल लोगों को खूब भा रही है |
बुआ हारीं, भतीजा जीता किन्तु सियासी मंच में मिले गले :
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भले ही कुर्सी से हाँथ धोना पड़ा हो लेकिन इस हार में भी कई लोग खूब तारीफ़ कर रहे हैं | दरअसल बात उस समय की है जब एमपी के नए मुखिया श्री कमलनाथ की ताजपोशी हो रही थी | और वहां मौजूद थे सत्ता से बाहर हुई भाजपा के सभी राजनीतिक विरोधी |
ऐसे में श्री राजे भी थी और उन्हीं के भतीजे ज्योतिरादित्य फिर क्या था पारिवारिक रिश्तों का प्यार बुआ और भतीजों को सार्वजनिक मंच में भी गले मिलने से रोंक न सका और दोनों नें एक दूसरे को गले लगाया |
मामा, नाथ व महाराज के हाँथ उठे एक साथ :
अभी पिक्चर आधी ही थी इसका दूसरा भाग भी बेहद खास था जब एमपी के पूर्व मुखिया यानी शिवराज मामा भी उस सियासी महफ़िल में शिरकत कर रहे थे जिन्होंने उन्हें सत्ता से बेदखल किया था | लेकिन मामा जी नें नए सीएम कमलनाथ और कांगेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दोनों हांथ उठाकर ये जताना चाहा कि हमारे विचार अनेक हैं लेकिन हम जनता के लिए एक ही हैं |
इधर शिवराज पहले ही कह चुके हैं कि ” राज्य की जनता के भलाई के लिए विपक्ष की रचनात्मक व सकारात्मक जिम्मेदारियों के लिए मैं हमेशा तैयार हूँ और इसके लिए मैं अपना पूरा सहयोग सरकार को दूंगा ‘ |