शाकाहार के दम पर कमलप्रीत ने डिस्कस थ्रो फाइनल में बनाई जगह, खेल छोड़ना मंजूर था पर नॉनवेज खाना नहीं
नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक के डिस्कस थ्रो प्रतिस्पर्धा में भारत की कमलप्रीत कौर ने फाइनल में पहुंचकर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। कमलप्रीत का अब तक का प्रदर्शन शानदार रहा है। कमलजीत ने तीसरे प्रयास में 64 मीटर का थ्रो करके फाइनल में जगह बनाई है।
कमलप्रीत कौर की एक और खास बात यह है कि वे शाकाहारी है। उन्होंने अपने शाकाहारी भोजन को छोड़े बिना फाइनल में जगह बनाई है। आज के समय में थ्रो इवेंट में शाकाहारी एथलीटों की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है। कमलप्रीत कौर के सामने जब नानवेज शुरू करने की बात रखी गई तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया कि वह डिस्कस थ्रो छोड़ सकती हैं, लेकिन नॉनवेज को हाथ नहीं लगाएंगी।
कमलप्रीत कौर पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब जिले के बादल गांव की रहने वाली हैं। पढ़ाई में कमजोर होने के चलते कमलप्रीत को लगा कि उन्हें खेल पर ध्यान देना चाहिए जिसके बाद वह खेल के मैदान में उतर गई। कमलप्रीत पहले शॉटपुटर (गोला फेक) थी लेकिन बाद में कोच की सलाह पर उन्होंने डिस्कस थ्रो शुरू कर दिया।
कमलप्रीत कौर साल 2019 में दोहा में हुए एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पांचवें स्थान पर रही थी। डिस्कस थ्रो में 65 मीटर बाधा पारकर वे ऐसा करने वाली पहली महिला बनी। साथ ही उन्होंने 2019 संस्करण में डिस्कस थ्रो में गोल्ड मेडल भी जीता था।
कमलप्रीत की कोच राखी कहती हैं कि उसने यह कर दिखाया कि शाकाहारी भी थ्रोअर हो सकते हैं। इसके लिए नॉनवेज जरूरी नहीं है उनकी कभी नानवेज खाने की इच्छा भी नहीं हुई।
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