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कई राज्यों के कृषक उत्पादक संगठन FPO ने कृषि कानूनों का किया समर्थन, कृषि मंत्री से मिले

नई दिल्ली: देशभर में कई किसान संगठनों के कृषि कानूनों के समर्थन देने के बाद अब FPO ने भी समर्थन जताया है।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों से, कृषि सुधार कानूनों के समर्थन में आये कृषक उत्पादक संगठन (FPO) के प्रतिनिधियों से आज कृषि भवन में मुलाकात की।

10 किसान संगठनों का समर्थन:

ज्ञात हो कि तीन दिन पहले ही दिल्ली में किसान आंदोलन के बीच अब कई राज्यों के किसान संगठन कृषि कानूनों के समर्थन में उतर आए थे। किसान यूनियन अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति से जुड़े उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा जैसे विभिन्न राज्यों के 10 संगठनों ने भी केंद्र के तीन कृषि कानूनों पर समर्थन जताया था।

इन 10 संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज राजधानी दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर 3 कृषि विधेयकों पर अपना समर्थन सौंपा था।

उत्तराखंड के किसानों ने किया समर्थन:

बीते रविवार को उत्तराखंड के किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया है। इस दौरान कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय भी वहां मौजूद थे।

बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था, ‘आज उत्तराखंड के किसानों ने मुझसे मुलाकात कर कृषि कानूनों का समर्थन किया है। मैं इन किसानों को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इन कानूनों को समझा, अपने विचार रखे और इनका समर्थन किया।

वहीं इससे पहले, रविवार को ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सोमप्रकाश ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इन मंत्रियों के साथ पंजाब के बीजेपी नेता भी थे। तोमर, सोमप्रकाश और पीयूष गोयल ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता में सरकार का नेतृत्व किया था।

हरियाणा के 1.2 लाख किसानों का समर्थन:

दूसरी ओर 7 दिसंबर को 1.2 लाख किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले हरियाणा के 20 प्रतिनिधिमंडल ने नए विधायकों के समर्थन के लिए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी।

टीम के एक सदस्य ने इसे ‘प्रगतिशील किसानों’ का प्रतिनिधिमंडल ने कहा था कि पद्मश्री से सम्मानित कमल सिंह चव्हाण के नेतृत्व वाले समूह ने सितंबर में अधिनियमित कृषि कानूनों के समर्थन में तोमर से मुलाकात की और सरकार से कुछ प्रावधानों में संशोधन की मांग की, लेकिन इसे रद्द नहीं करना चाहिए।

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