फ़ैक्ट चेक: हिंदू मंदिरों को मुक्त करने के लिए मोदी सरकार ने पेश किया बिल !
नई दिल्ली: सरकारों से मन्दिरों के नियंत्रण मुक्त वाली खबरें वायरल हुई हैं।
हाल ही में संसद का मानसून सत्र संचालित हुआ है ऐसे में दोनों सदनों में कई बिल पेश हुए कई पास भी हुए। उधर सोशल मीडिया पर एक बिल की खूब चर्चा है जिसमें कहा जा रहा है कि हिंदू मन्दिरों को मुक्त कराने के लिए भाजपा सांसद ने संसद में बिल पेश किया है।
बिल पर वॉयरल पोस्ट:
हालांकि हमेशा की तरह चौकन्नी सोशल मीडिया टीम ने वायरल वीडियो को तथ्यात्मक रूप से गलत साबित किया। दरअसल बिल से सम्बंधित टाइम्स नाउ के वीडियो को शेयर करते हुए आकाश नामक यूजर लिखते हैं “हिन्दू मंदिरों के लिए बिल, मुंबई के पुर्व पुलिस कमिश्नर एवं अजीत सिंह के गढ़ बागपत यूपी से दूसरी बार चुने गए सांसद सत्यपाल सिंह मलिक ने संसद में हिंदू मंदिरों को राज्य सरकारों के नियंत्रण से मुक्त करने का प्राईवेट बिल संसद में पेश किया है।”
🚩 *हिन्दू मंदिरों के लिए बिल*🚩
*मुंबई के पुर्व पुलिस कमिश्नर एवं अजीत सिंह के गढ़ बागपत यूपी से दूसरी बार चुने गए सांसद सत्यपाल सिंह मलिक ने संसद में हिंदू मंदिरों को राज्य सरकारों के नियंत्रण से मुक्त करने का प्राईवेट बिल संसद में पेश किया है
*याद रहे मस्जिद या चर्च पर राज्य pic.twitter.com/G83GtjqmtP
— Akash RSS (@Satynistha) September 24, 2020
इसके अलावा भी कई लोग वीडियो को शेयर कर रहे हैं।
Temple Bill introduced. A great move by Modi Government. History created once again by Modi ji. pic.twitter.com/GJT2bPDjRT
— Namo Vedhika (@sumanvedhika) September 25, 2020
FD पड़ताल :
हमारी टीम ने बिल की आधिकारिक पुष्टि के लिए लोकसभा में पेश हुए अब तक के सभी प्राइवेट मेम्बर बिल देखे जिसमें उत्तरप्रदेश के बागपत से भाजपा के लोकसभा सांसद डॉक्टर सत्यपाल सिंह (जोकि मुम्बई के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं) द्वारा पेश किए गए बिलों की सूची खंगाली जिसमें मन्दिर सम्बंधित बिल मिला। जोकि इस सत्र में नहीं पेश किया गया था बल्कि 22 नवंबर 2019 को पेश किया गया था। जिसे टाइम्स नाउ ने भी 22 नवम्बर 2019 को ही अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर डाला था।
इस बिल का नाम संविधान संशोधन विधेयक 2019 था। इस बारे में लोकसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर सूचना भी उपलब्ध थी।
क्या था मंदिर वाले बिल में:
22 नवंबर को लोकसभा में डॉ सत्यपाल सिंह द्वारा दूसरी बार विधेयक पेश किया गया था इसके पहले उन्होंने पहली बार 2017 में बिल पेश किया था जिसे लंबित रखा गया था। बिल को पेश करने के बाद, डॉ सत्यपाल सिंह ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार बराबर होने चाहिए और इसलिए बिल है।
अल्पसंख्यक बहुसंख्यक में भेदभाव:
उन्होंने आगे कहा था कि अल्पसंख्यकों को उनके शैक्षिक और धार्मिक संस्थानों को नियंत्रित करने की अनुमति देने के लिए संविधान द्वारा स्वतंत्रता के बाद की देखभाल की गई ताकि उनकी आशंकाओं का निवारण किया जा सके। हालाँकि, हिंदुओं को समान व्यवहार नहीं दिया गया। पिछले 7 दशकों में, इसका मतलब यह हुआ है कि बहुसंख्यक समुदाय अल्पसंख्यकों के समान अपने अधिकारों का आनंद नहीं ले सकते हैं। हिंदू अपने संस्थानों का प्रबंधन नहीं कर सकते, नियम और कानून केवल हिंदू संस्थानों पर लगाए जाते हैं। यह भेदभाव है और इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए मेरा बिल पेश किया गया है कि कानून की नजर में सभी समान हैं।”
बिल की मांगें क्या थीं:
विधेयक यह मांग करता है कि राज्य किसी भी धार्मिक संस्थान को नियंत्रित, प्रशासन या प्रबंधन नहीं करेगा, किसी भी कानून को लागू नहीं करेगा जो इसे एक धार्मिक संस्था को नियंत्रित करने की अनुमति देता है। सभी समुदायों को अपने धार्मिक संस्थानों को बनाए रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। धर्मनिरपेक्ष उद्देश्यों खातिर मंदिरों के आय के दुरुपयोग पर रोक और अनुच्छेद 26 में संशोधन, और किसी भी राज्य को किसी भी धार्मिक संस्था को नियंत्रण से रोकना है।
बिल का विवरण
डॉ सत्यपाल सिंह ने संसद के शीतकालीन सत्र में अब The CONSTITUTION (AMENDMENT) BILL, 2019 पेश किया था। बिल में अनुच्छेद 15, 26, 27, 28, 29 और 30 पर संशोधन के लिए कहा गया था।
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