Opinion

वीरगति को प्राप्त सैनिक के परिवार को उल्टा प्रशासन ने ही लूट लिया, आ गया सड़को पर!

एक तरफ जहां पूरा देश पर्दे के एक्टर की आत्महत्या हत्या के लिए लड़ रहा है वहीं देश के हीरो व भारत माता की सुरक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिक का परिवार अपने हक पाने के लिए दर दर ठोकरे खाने को मजबूर है।

शासन प्रशासन से दर दर की ठोकर खा चुके व सरकार द्वारा दिए गए पेट्रोल पंप पर अपना लाखो रूपए लगा चूका यह परिवार आज सड़क पर आ चूका है।

एक प्रेस वार्ता में वीरगति को प्राप्त सैनिक गिरधारी सिंह राठौड़ के पुत्र ओपेंद्र सिंह राठौड़ निवासी मांडल देवा, तहसील डेगाना, नागौर ने बताया कि मेरे पिता थलसेना के सूरतगढ़ फायरिंग रेंज मै तेनात थे जोकि वर्ष 2003 में शहीद हो गए। जिसके बाद रक्षा मंत्रालय के पुनर्वास निदेशालय ने उनके नाम पर एक पेट्रोल पंप बूंदी में आवंटित किया। हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने हमें नियम व शर्तें बताते हुए कहा कि पेट्रोल पम्प के लिए जमीन से लेकर उसका निमाण का खर्चे हमसे वसूला इसके अलावा सिक्योरिटी का पैसा भी हमने जमा करवाया। मैंने 50ङ्ग50 स्कावयर मीटर जमीन हिंडौली के एनएच-12 पर खरीदी। जिसका खसरा नंबर 2610 व 2612 है।

इसके बाद मुझसे इसके लिए पीडब्ल्यूडी, पुलिस, रारष्ट्रीय राजमार्ग तथा ग्राम पंचायत समिति, रसद विभाग व जिला कलक्टर से एनओसी लेने के लिए कहा गया साथ इसके अलावा जिला कलक्टर से जमीन को कृषि से वाणिज्य में तब्दील करवाने को भी कहा गया जिसका खर्चा भी मैंने ही वहन किया।

इसके तुरंत बाद कंपनी के कहानुसार कंस्ट्रक्शन का काम जारी कर दिया गया जिसमें 20-25 लाख का खर्चा हुआ। 21 अप्रैल 2005 को पेट्रोल पंप की सारी कानूनी कार्यवाही पूरी कर पेट्रोल पंप शुरु कर दिया गया। लेकिन, एक साल बाद वहां से गुजरे तत्कालीन संभागीय आयुक्त जेसी मोहंती ने रोड ड्राई तथा पेट्रोल पंप के अंदर बाहर निकलने वाले रास्ते को गलत बताते हुए पेट्रोल पर सीज करने के आदेश बूंदी जिला कलक्टर को दिए जिसके बाद पेट्रोल पंप सीज कर दिया गया। मैंने 10-15 लाख का रुपए का खर्चा कर फिर से संभागीय आयुक्त को अवगत करवाया तो उन्होंने पेट्रोल पंप को री-ओपन करने की परमिशन प्रदान कर दी।

आपेंद्र सिंह ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि एक दिन अचानक से 25 जून 2007 को हिंदुस्तान पेट्रोलियम के उच्च अधिकारी एससी मौर्य ने बिना किसी सूचना और कारण पेट्रोलियम एक्टर 1934 तथा मार्केटिंग डिसिपिलिन गाइडलाइन 2005 का उल्लंघन करते हुए पेट्रोल पंप सीज कर दिया। बाद में उन्होंने हवाला दिया कि आपके पेट्रोल पंप पर बिकने वाला पेट्रोल मानक पर खरा नहीं उतर रहा है और वैसे यह सब ऐसे ही चलता रहेगा आपको बस दस हजार रुपए प्रतिमाह मुझे और पंद्रह हजार रुपए प्रतिमाह रीजनल मैनेजर पीके गुलाटी को बंदी देनी होगी। अगर यह सब नहीं करोगे तो शहीदों के पेटोल पंप इसी तरह बंद होते रहेंगे। इसके बाद मैंने उनसे पेट्रोल पंप की जांच करवाने की बात कही तो उन्होंने इस बात से साफ इंकार कर दिया।

मैंने बूंदी न्यायालय में इस कार्यवाही के खिलाफ वाद प्रस्तुत किया तो बूंदी न्यायालय ने पेट्रोल पंप का वाद क्षेत्राधिकार (उदयपुर) में पेश करने को कहा। माननीय अदालत का आदेश मानते हुए मैंने ऐसा ही किया। जिला सत्र न्यायालय ने 17 अगस्त 2015 को पेट्रोल पंप पुन: चालू करने की अनुमति प्रदान कर दी। कोर्ट ने इस कार्यवाही को गैरकानूनी करार देते हुए पेट्रोलियम एक्ट 1934 के विरुद्ध और मार्केटिंग डिसिपिलिन गाइइलााइन 2005 के विरुद्ध बताया। इसके बाद मैंने kabit पिटिशन जोधपुर उच्च न्यायालय में दायर की। इसके बाद एचपीसीएल ने चालाकी से न्यायालय से तथ्य छुपाकर एक्स पार्टी बनकर स्टे ले लिया।

इसके बाद मैंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी है। तब से (24 जून 2017) बंद पेट्रोल पंप को लेकर मैंने अपनी माली हालत दयनीय होते देख जिला कलक्टर के समक्ष इस भूमि का वाणिज्य से कृषि करने का प्रार्थना पत्र पेश किया ताकि मैं इस पर कुछ रोजगार कर सकूं, जिला कलक्टर ने वाणिज्य से कृषि की परमिशन 26-7-2019 को दे दी। इसके बाद मैंने आय अर्जित करने के लिए ढाबा और कुछ दुकानें खुलवा दीं। तकरीबन 7-8 माह बाद एचपीसीएल ने जिला एवं सत्र न्यायालय उदयपुर में प्रार्थना पत्र दायर कर मांग की कि आपेंद्र सिंह से कब्जा दिलाया जाए। मैंने इसके जवाब में प्रार्थना पत्र दाखिल कर मांग की है कि पेट्रोल पंप मुझे ही आवंटित करें और मुझे मेरी जमीन से बेदखल ना करें।

दिनांक 30-7-2020 को जिला एवं सत्र न्यायालय उदयपुर ने मेरी ओर एच पी सी एल का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। इतना होने के बाद भी एचपीसीएल ने मुझे परेशान करना जारी रखा। 11-8-2020 को दोपहर को अचानक करीबन 1 बजे 10-15 पुलिस जवान जो हथियारों से लैस थे उनके साथ कुछ गुंडा तत्व के लोग भी मौजूद थे। एचपीसीएल के अनुराज अग्रवाल तथा अवनीश कुमार व अन्य अधिकारी अचानक आते ही

जबरदस्ती गैर कानूनी तरीके से कब्जा खाली करवाने लग गए। जब इस संबंध में थाना हिंडौली को मैंने शिकायत दी तो उन्होंने इसे लेने से इंकार करते हुए ऊपर से दबाव होना बताया साथ ही शिकायत करने पर उल्टे अंदर करने की धमकी भी दी। इसके बाद मैंने पुलिस अधीक्षक से मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन, उन्होंने मुझसे मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई साथ ही मैं इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से लेकर जिला कलक्टर से अलावा कई उच्च अधिकारियों से भी कर चुका हूं लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और मैं इंसााफ के लिए दर दर भटकने को मजबूर हूं।


यह आर्टिकल वीरगति को प्राप्त गिरधारी सिंह राठौर के पुत्र उपेंद्र सिंह ने लिखा है। लाचार उपेंद्र इन दिनों मानसिक पीड़ा से ग्रस्त है।


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