UK में गुलाम व्यापारी कोल्सटन की मूर्ति तोड़ी, भारत में अब मनु की मूर्ति का क्या होगा: दिलीप मंडल
नई दिल्ली: दलित राजनीती कर अपना घर चलाने वाले दिलीप मंडला के एक लेख ने बवाल पैदा कर दिया है। दा प्रिंट में छपे एक लेख में उन्होंने अमेरिका व ब्रिटैन में #BlackLivesMatter आंदोलन का जिक्र करते हुए भारत में मनु की मूर्तियों के साथ भी वैसा ही बर्ताव करने के लिए सुझाव दिए है।
दिलीप मंडल ने ब्रिटैन में उग्र लेफ्ट संगठनों द्वारा एडवर्ड कोल्सटन की मूर्ति को तोड़कर समुद्र में बहा देने के मसले को भारत में राजस्थान हाई कोर्ट में लगे मनु की मूर्ति के साथ भी वैसा ही बर्ताव करने की ओर इशारा किया।
उन्होंने अपनी क्षमता के अनुसार लेख को घुमा कर लिखने का प्रयास तो किया परन्तु उनके लेख से साफ़ झलक रहा था कि भारत में भी दिलीप मंडल दंगे कराने के मकसद से लेख लिख रहे है।
उनकी लिखी एक पंक्ति ‘सवाल उठता है कि भारत में भी जब समानता और समता के आंदोलन तेज होंगे, तब इस मूर्ति का क्या होगा’ सीधे सीधे लोगो को भारत में भी वैसा ही करने के सुझाव दे रही है।
उन्होंने मनु को पितृसत्ता व महिला गुलामी का पक्षधर बताते हुए क्रूर और सैतान बता दिया। एक अजेंडे के तहत लिखे गए लेख से साफ़ झलक रहा था कि मनु स्मृति को न तो दिलीप मंडल ने पढ़ा है और न तो जाना है।
उन्होंने आंबेडकर के उस वाकये को आधार बनाया जब महाड़ में सरकारी तलाब में पानी पीने के दलितों के अधिकार के लिए आंदोलन चलाया था, तो इस दौरान 25 दिसंबर, 1927 को सार्वजनिक रूप से मनुस्मृति जलाई थी।
वहीं संस्था यूथ फॉर इक्वलिटी के अनुसार मनु स्मृति वर्ण व्यवस्था की बात करती है जिसे यह दलित संगठन अपने फायदे अनुसार कांट छांट के बताते आये है। वहीं मनु स्मृति का कोई भी प्रामाणिक वास्तविक लेख की प्रतिलिपि बची ही नहीं है।
ऐसे में अपने मन मुताबिक व विदेशी लेखकों के द्वारा लिखी गई विकृत मनुस्मृति को ऐसे लोग परोस रहे है।
ट्वीटर पर अगर उनके पिछले तीन साल के ट्वीट्स पर आप नजर डालेंगे तो पाएंगे की दिलीप मंडल जातिवाद की सबसे अधिक गृह्णा फ़ैलाने वाले शख्स है।
खैर आखिर में चालाकी दिखते हुए उन्होंने कहा कि उनके अनुसार वह “तोड़ने के पक्ष में नहीं है, इतिहास के सबसे बुरे और क्रूर अध्यायों को भी, और किसी काम के नहीं तो भी शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए, बचाकर रखना चाहिए. इतिहास सिर्फ बीती हुई घटनाओं का संचित रूप नहीं, बल्कि भविष्य के लिए रास्ता दिखाना वाली मशाल भी है.”
माना की मनु के बारे में ऐसे लेख लिखने से ही उनका घर चल रहा है परन्तु अगर ऐसे लेख आपसी भाई चारे को ठेश पहुचायेंगे तो क्या इनपर भी कोई एससी एसटी टाइप मुकदमा लिखा जायेगा?
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Why Harsh Meena is writing this piece?
Harsh Meena is a student of journalism at the University of Delhi. He reads and writes Dalit politics for exposing the venom spread by the so-called Dalit organizations. Besides, he is known for being vocal about the forceful conversions of the Hindu Dalits. Fun Fact, Dalit organizations hate him for exposing their nexus with Jay Meem!