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1963 में गणतंत्र दिवस पर RSS को पंडित नेहरू नें भेजा था आकस्मिक आमंत्रण- BBC रिपोर्ट

नईदिल्ली : देश कल 26 जनवरी 2020 को अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। गणतंत्र दिवस के बारे में इतिहास के कुछ ऐसे तथ्य रहे हैं जोकि आम जनमानस में नहीं रहे। 

ऐसे में एक तथ्य गणतंत्र दिवस के बारे में लाए हैं जोकि पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू व देश के सबसे बड़े संगठन RSS के संबंध को बताता है। 1962 का युद्ध भारत चीन से हार चुका था, तैयारी थी 1963 में 26 जनवरी को 14वें गणतंत्र दिवस मनाने की। उस समारोह में RSS को देशसेवा के लिए पण्डित नेहरू नें राजपथ पर झांकी निकालने के लिए आकस्मिक आमंत्रण भेजा। आपको बता दें कि ये जानकारी कई प्रतिष्ठित मीडिया जैसे BBC, द हिंदू, टाईम्स ऑफ इंडिया, पत्रकार, RSS की आधिकारिक वेबसाइट, इतिहासकार व RSS के जानकारों की पुस्तकों, आदि ऐसे कई जगहों पर उपलब्ध है।

1962 के युद्ध में सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक जिस उत्साह से सीमा पर पहुंचे, उसे पूरे देश ने देखा और सराहा। स्वयंसेवकों ने सरकारी कार्यों में और विशेष रूप से जवानों की मदद में पूरी ताकत लगा दी – सैनिक आवाजाही मार्गों की चौकसी, प्रशासन की मदद, रसद और आपूर्ति में मदद, और यहां तक कि शहीदों के परिवारों की भी चिंता।

इसका प्रभाव ये पड़ा कि जवाहर लाल नेहरू को 1963 में 26 जनवरी की परेड में संघ को शामिल होने का निमंत्रण देना पड़ा। परेड करने वालों को आज भी महीनों तैयारी करनी होती है, लेकिन मात्र दो दिन पहले मिले निमंत्रण पर 3000 से ज्यादा स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित हो गए।

सन 1962 में चीन से युद्ध के बाद पूरा भारत काफी हताश था लेकिन नेहरु गणतंत्र के अवसर पर इस बात को महसूस नही होना देना चाहते थे। उन्होंने सोचा कि इस बार परेड में राष्ट्रसेवा करने वाली संस्थाओं को शामिल किया जाना चाहिए, संघ को इस परेड में शामिल होने के लिए 24 जनवरी को न्योता मिलता, इस परेड में संघ को तैयारी के लिए सिर्फ दो दिन मिले थे।

बाद में कुछ कांग्रेसी नेताओं ने संघ को निमंत्रित किये जाने के पंडित नेहरू के निर्णय पर आपत्ति जताई तो उन आपत्तियों को दरकिनार कर नेहरू जी ने कहा कि सभी देशभक्त नागरिकों को परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था।

श्री जवाहर लाल नेहरू ने आरएसएस स्वयंसेवकों की भावना को देखते हुए यहां तक कहा कि “यह दर्शाने के लिए कि केवल लाठी के बल पर भी सफलतापूर्वक बम और चीनी सशस्त्र बलों से लड़ा सकता है, विशेष रूप से 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए आरएसएस को आकस्मिक आमंत्रित किया गया।”

RSS Participation In Republic Day 1963, Sources: BBC, TOI, The Hindu

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