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‘पहले हरित क्रांति हुई थी अब कृषि सुधार’: अखिल भारतीय किसान संगठन ने कृषि कानूनों का किया समर्थन

नई दिल्ली: दिल्ली में 40 दिनों से ज्यादा चल रहे किसान आंदोलन के बीच कई किसान संगठन 3 कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे हैं।

इसी कड़ी में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शास्त्री जी के नाती व संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय नाथ सिंह जी के नेतृत्व आज “अखिल भारतीय किसान संगठन” के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दिल्ली में मुलाकात की।

इस मुलाकात के दौरान संगठन ने केंद्र सरकार के तीन नए कृषि सुधार कानूनों को ऐतिहासिक बताते हुए इनका समर्थन किया।

संगठन ने कहा कि देश में पहले हरित क्रांति हुई थी और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने यह साहसिक कदम उठाया है जो भारतीय कृषि के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि भी है और अवसर भी।

800 शिक्षाविदों ने किया समर्थन:

वहीं बीते दिनों देश भर के 800 से अधिक शिक्षाविदों ने तीन कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि सुधार कृषि व्यापार को सभी अवैध बाजार प्रतिबंधों से मुक्त करेंगे।

बयान में कहा गया, “हम किसानों की आजीविका की रक्षा के लिए सरकार के आश्वासन पर विश्वास करते हैं, और यह उनकी थाली से भोजन नहीं लेगा।” उन्होंने कहा कि तीन कानून किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करते हैं। केंद्र सरकार ने किसानों को बार-बार आश्वासन दिया है कि कृषि व्यापार के ये तीन बिल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के साथ नहीं करेंगे, बल्कि सभी अवैध बाजार प्रतिबंधों से कृषि व्यापार को मुक्त करेंगे, बाजार को मंडियों’ से आगे खोलेंगे और आगे सहायता करेंगे छोटे और सीमांत किसानों को बाजार / प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपनी उपज बेचने के लिए।”

हस्ताक्षर करने वालों में राकेश भटनागर, कुलपति बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, प्रो साकेत कुशवाहा, कुलपति, राजीव गांधी विश्वविद्यालय, विनोद कुमार जैन, कुलपति, तेजपुर विश्वविद्यालय, एच सी राठौर, केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार के उप-कुलपति शामिल हैं।

कहा गया है कि हम सरकार और किसानों दोनों के साथ एकजुटता में खड़े हैं और उनके गहन प्रयासों को सलाम करते हैं। आखिरकार, यह किसानों को राष्ट्र से अलग करने की बात नहीं है।

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