भारत में बरपा ज़ीका वायरस का कहर

उत्तर भारत के राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में ज़ीका वायरस ने सबसे ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाया है।

नई दिल्ली :- जैसे-जैसे दुनिया विकास की ओर बढ़ रही है वैसे-वैसे दुनिया के सामने अनेक प्रकार की समस्याएँ खड़ी होती जा रही है। जगत के हित में कार्य करने वाला संगठन “संयुक्त राष्ट्र” भी कुछ समस्याओं पर काबू पाने में असमर्थ होता दिख रहा है। एक ऐसी ही समस्या है जो कि विकासशील देशों के सामने खड़ी हो गई है और यह समस्या है ज़ीका वायरस की।

अब भारत भी इस ज़ीका वायरस से अछूता नहीं रह गया है और कई राज्यों में इसके मरीज देखने को मिल रहे हैं। उत्तर भारत के राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में ज़ीका वायरस ने सबसे ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाया है। ज़ीका वायरस के इतनी मात्रा में मरीज भारत के इतिहास में पहली बार देखे गए हैं, अकेले राजस्थान में अक्टूबर 2018 में 29 से ज्यादा मरीज इससे ग्रसित हैं।

केंद्रीय स्वस्थ्य मंत्री जेपी नड्डा का कहना है कि “Indian Council of Medical Research”(ICMR) पूरे मामले पर नज़र बनाये हुए है और स्थिति पूरे तरीके से काबू में है। जेपी नड्डा ने कहा कि ज़ीका वायरस से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है, बल्कि सुरक्षा लक्षणों को अपनाकर ज़ीका वायरस से लड़ने में देश की मदद करें।

ज़ीका वायरस “Aedes Aegypti” और “Aedes Genus” नामक मच्छर के द्वारा फैलता है। ज़ीका वायरस उसी मच्छर के द्वारा फैलता है जो डेंगू और चिकनगुनिया के लिए जिम्मेदार होता है। ज़ीका वायरस एक “RNA” किश्म का वायरस है। ज़ीका वायरस का नाम यूगांडा के ज़ीका जंगल के नाम पर पड़ा है, जहाँ इस वायरस का पहला मरीज 1947 में मिला था।

भारत में ज़ीका वायरस के उत्पन्न होने के बहुत-से कारण हैं। पहला, भारत में अच्छी खासी बारिश होती है, जो कि ज़ीका वायरस के खतरे को बढ़ाती है और दूसरा, भारत में इतनी मात्रा में साफ़-सफाई नहीं है इसलिए गंदगी के कारण भी यह फैल सकता है। ज़ीका वायरस यदि किसी गर्भवती महिला के अंदर चला जाता है, तो इसकी 100% संभावना है कि उसका जो बच्चा होगा वह असमान्य होगा। अभी तक ज़ीका वायरस का कोई भी इलाज नहीं खोज सका है।

यदि किसी व्यक्ति को ज़ीका वायरस होता है तो उसके कुछ लक्षण होते हैं जैसे कि उसे बहुत तेज बुखार चढ़ता हैं, जोड़ों में दर्द होने लगता है, सिरदर्द तथा पूरे शरीर में दर्द होता है। परन्तु जब ज़ीका वायरस शरीर में जाता है तो केवल 25% लोग ही इसके लक्षण का पता लगा पाते हैं।

ज़ीका वायरस को हम अपने पास साफ़-सफाई रखकर और मच्छरों से दूर रहकर ही रोक सकते हैं।