यूथ फार इक्वलिटी जातिगत आरक्षण को देगी चुनौती न कि आर्थिक

यूथ फॉर इक्वलिटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बयान " 10% आर्थिक आरक्षण का पूरा समर्थन है और इसे 50% के अंदर से ही दिया जाए ताकि बाकी बचे में से मेरिट का ध्यान भी रखा जाए"

नईदिल्ली : यूथ फॉर इक्वलिटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौशल कांत नें मीडिया के उन बयानों को पूरी तरह से खंडित किया जिसमें कहा गया कि यूथ फॉर इक्वलिटी आर्थिक आरक्षण के खिलाफ कोर्ट जाएगी ” और उन्होंने कहा हुए कहा कि ” हम आर्थिक आरक्षण के हमेशा पक्षधर रहे हैं और इसी को लेकर हम कोर्ट में क्यों जाएंगे ? ”




फलाना दिखाना टीम से बातचीत में डॉ कौशल नें कहा कि ” 2006 से हम लोग लगे हुए थे कि देश में कोई एक मापदंड आए जो जातिगत न हो और उस समय का बीज का है 10% आर्थिक आरक्षण जो आज एक फल के रूप में निकला है | और हम इसका बहुत स्वागत करते हैं और हम कभी भी इसको हटने नहीं देंगे और इसे 50% के अंदर ही लाने की कोशिश करेंगे | ”

” हम सभी जातियों में आर्थिक आरक्षण की मांग करते हैं और उसके लिए 50% की सीलिंग लिमिट न तोड़ी जाए। और ये दिया गया 10% आरक्षण उसी 50% में से ही दिया जाए। ”

देश के सभी मीडिया चैनलों में चलाई गयी ख़बर को लेकर उन्होंने कहा कि ” ये गलत तरीके से दिखा कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। “
इसके आगे उन्होंने कहा कि ” हम मेरिट को लेकर हमेशा चिंतित रहे हैं और चाहते हैं कि मेरिट का सम्मान बरकरार रहे जोकि देश के हित में है। “
इसके अलावा उन्होंने कहा कि ” देश में आरक्षण का पैमाना सिर्फ आर्थिक ही हो इसके लिए किसी जाति या धर्म का आड़ न लिया जाए। क्योंकि इससे समाज बंटता है और यही कारण है कि देश में आजादी के बाद जातियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जबकि आरक्षण के पक्षधर बीआर अंबेडकर का सपना ही था कि भारत एक जातिविहीन समाज के रूप में दिखे। “