आर्यभट्ट विशेष: 14 अप्रैल को जन्मे महान गणितज्ञ का वह श्लोक जिसने गणित को बदल कर रख दिया.

नई दिल्ली: भारत में आज 14 अप्रैल है और लोग लॉकडाउन का पालन करते हुए घरों में कैद है. फ़िर भी सोशल मीडिया के जमाने में लोग अपनी मौजूदगी मजबूती से दर्ज करा ही देते हैं. आज सभी को पता है कि बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बे‍डकर जी की जयंती है जिसे लोग सोशल मीडिया पर खूब शेयर भी कर रहे हैं. सविधान निर्माता बाबा साहब ने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में भी अपना योगदान दिया है. कुछ सालो से देखा जाए तो भारत में बाबा साहब के नाम को फ़ैशन के रूप में बना दिया गया है ऐसा फ़ैशन जहा बाबा साहब को याद करने की होड़ सी लग गई है. अच्छी बात है कि कोई व्यक्ति अपने सविधान निर्माता को याद करे परंतु इस नाम रूपी पनपे फैसन में हम अपने महान वैज्ञानिकों को ठैंगा दिखाते जा रहे हैं.

मुझे विश्व के बड़े बड़े मीडिया हाउस के लिए लेख लिखने का मौका मिला जो यह तक नहीं जानते हैं कि भारत में आर्यभट्ट जैसे महान गणितज्ञ हुए है. पश्चिमी प्रपंच में दबी हमारी स्कूली व्यवस्था व संस्कृति हमे हमारे पूर्वजों द्वारा दिए गए सिद्धांतों से दूर कर रही है. आज 14 अप्रैल है और बाबा साहब की जयंती के साथ पंचांग के अनुसार यह भी माना जाता है कि आज ही के दिन महान गणितज्ञ आर्यभट्ट का जन्म हुआ था. यह हमे इससे भी मालूम पड़ता है कि उनके द्वारा रचित आर्यभट्टिय में इसका वर्णन मिल जाता है. उनकी उम्र का प्रमाण भी उनके लेखों से ही ज्ञात हुआ था. उनके एक लेख में वर्णित था कि काली युग में 3600 साल थे जब वह 23 वर्ष के थे जिसके अधार पर हमने उनकी आयु की गढ़ना करी.

पाटलिपुत्र के समीप कुसुमपुर में जन्मे आर्यभट्ट आज हमारी आपसी लड़ाइयों में कही खो से गए हैं. यही हाल भास्कर व अन्य महान वैज्ञानिकों का हो चला है.

बचपन से ही हम π को पढ़ते आये है लेकिन कभी इस बात  जोर नहीं दिया कि इसे गुप्ता काल में आर्यभट्ट ने कितनी मेहनत से हल किया होगा, मालूम हो कि उस समय आज के समय मौजूद हाइटेक उपकरण नहीं हुआ करते थे. वही Algebra को कभी भी आर्यभट्ट  जोड़ कर प्रसारित नहीं किया गया.

2016 में यूनेस्को ने अप्रैल को जयंती के अवसर पर तांबे की प्रतिमा का आनवरण किया था

यूनेस्को जनरल इऋना बोकॉवा ने अप्रैल माह में “इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ज़ीरो” के अवसर पर पेरिस में आर्यभट्ट के सम्मान में मूर्ति का आनवरण किया था.

यूनेस्को पेरिस स्थित आर्यभट्ट की प्रतिमा के समक्ष खड़े उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू

आर्यभट्ट के सम्मान में भारत की पहली स्वदेशी सैटेलाईट आर्यभट्ट भी अप्रैल माह में USSR की मदद से छोड़ी गई थी 

भारत ने अपनी पहली स्वदेशी निर्मित सैटेलाईट आर्यभट्ट को स्पेस में छोड़ा था जिसे 19 अप्रैल को USSR की मदद से अपनी मंजिल तक पहुंचाया गया था. कुछ ISRO वैज्ञानिकों के अनुसार कुछ तकनीकी कारणों के चलते इसे 14 की बजाय 19 अप्रैल को दागा गया था.

ज़ीरो के अलावा आर्यभट्ट की कुछ उपलब्धियां

आर्यभट्ट ने उस काल में इसका सही अनुमान लगाया था कि चांद व अन्य ग्रह सूरज की रोशनी की वजह से रात में चमकते है वही तारो के मोशन को भी आर्यभट्ट ने सटीक रूप से समझाया था.

आर्यभट्ट का वह श्लोक जिसमे उन्होने पाइ की सटीक गढ़ना की थी

चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्राणाम्। अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्यासन्नो वृत्तपरिणाहः॥

अर्थ: 100 में चार जोड़ें, 8 से गुणा करें और फिर 62000 जोड़ें। इस नियम से 20000 परिधि के एक वृत्त का व्यास पता लगाया जा सकता है। (100 + 4) x 8 +62000/ 20000= 3.1416

इसके अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात (2πr/2r) यानी 3.1416 है, जो पांच महत्वपूर्ण आंकड़ों तक बिलकुल सटीक है।

About the author: Shubham Sharma is an author at Asia Times. He is a Delhi based journalist mostly reports on foreign affairs and international relations. He has also been worked for the Courrier International, Jihad Watch, Modern Diplomacy and Foreign Policy Times. Follow him on twitter @ShubhamSharm11

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